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मायावती ने उठाई गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग

संविधान पर संसद में चल रही बहस में आज बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी हिस्‍सा लिया। राज्यसभा में मायावती ने संविधान पर चर्चा करते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की वकालत की है। मायावती के इस कदम को अगड़ी जातियों को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
मायावती ने उठाई गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग

अगड़ी जातियों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। उन्‍होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री 27 नवंबर के अपने भाषण में आर्थिक आधार पर आरक्षण की घोषणा करते तो ये अंबेडकर के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होती। मायावती ने कहा कि सवर्णों में अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर है तो उसे आरक्षण देने का मैं समर्थन करती हूं। 

2017 में होने वाले उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए मायावती के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है। गौरतलब है कि आरक्षण के खिलाफ संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान बिहार चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया था। गौरतलब है कि मायावती की निगाहें यूपी में दलितों के अपने वोट बैंक के साथ सवर्ण खासकर ब्राह्मण वोटों पर हैं। मोहन भागवत के बयान की ओर इशारा करते हुए मायावती नेचेतावनी दी कि अगर आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास किया गया तो सड़कों पर उतर कर आंदोलन किया जाएगा।

मायावती ने कहा कि देश में संविधान लागू किए 65 साल से अधिक समय हो गया और सरकारों को आकलन करना चाहिए कि क्या हम संविधान के मुताबिक लोकतंत्र, मानवतावादी और समतामूलक व्यवस्था के निर्माण में सफल हो पाए। हमें हमारी खामियों को दूर करना होगा अन्यथा यह चर्चा निरर्थक हो जाएगी।

निजी क्षेत्र में आरक्षण की वकालत 

आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के साथ-साथ मायावती ने निजी क्षेत्र में आरक्षण का मुद्दा भी संसद में उठाया है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंबेडकर जयंती मनाए जाने के बारे में कई सुझाव दिए। ज्यादा अच्छा होता कि वह इस मौके पर कमजोर वर्गों को निजी क्षेत्र में आरक्षण देने के फैसले, पदोन्नति में अनुसूूचित जाति जनजाति के लोगों को आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन करने के बारे में कोई फैसले का एेलान करते। 

दलितों के प्रति असंवेदनशील रवैया  

मायावती ने सरकार पर दलितों के प्रति असंवेदनशील रूख रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि पिछले दिनों फरीदाबाद में एक दलित परिवार के बच्चों को कथित तौर पर जिंदा जलाए जाने की घटना के बाद केंद्र सरकार के मंत्री वीके सिंह ने जो कुछ कहा था वह अक्षम्य है। मायावती ने सिंह को बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा प्रधानमंत्राी को चाहिए कि उन्हें तत्काल बर्खास्त कर जेल भेजें।

बसपा प्रमुख ने यह भी कहा कि हरियाणा में एक मंत्री द्वारा एक दलित महिला आईपीएस अधिकारी का उत्पीड़न किया गया है और इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि असम के राज्यपाल ने हाल ही में कथित तौर पर कहा कि हिंदुस्तान हिंदुओं का है और मुसलमाान पाकिस्तान जाने के लिए स्वतंत्र हैं। मायावती ने सवाल उठाया कि क्या यह बयान संविधान की गरिमा के अनुकूल है। सार्वजनिक पद पर बैठे लोग ही सांप्रदायिक सौहार्द्र के माहौल को बिगाड़ रहे हैं। लेकिन सरकार चुप्पी साधे हुए है।

सीबीआई के जरिए भाजपा-कांग्रेस ने फंसाया 

मायावती ने भाजपा और कांग्रेस सरकारों पर सीबीआई का दुरुपयोग कर उन्‍हें परेशान करने का आरोप भी लगाया है। उन्‍होंने कहा कि इस बार भी भाजपा वही हथकंडा अपना रही है, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ेगी। ताज कारीडोर मामले में उन्हें इसका अनुभव हो चुका है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि इतने दिनों से एनएचआरएम घोटाले में उनका नाम उसे याद नहीं आया लेकिन उप्र में विधानसभा चुनाव करीब आते ही एनएचआरएम घोटाले में उनका नाम जोड़ा जाने लगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

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