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'मायावती ने कांशी राम के बहुजन आंदोलन की अनदेखी की', बसपा संस्थापक सदस्य का दावा

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापकों में से एक और नवनिर्वाचित समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद आर के चौधरी...
'मायावती ने कांशी राम के बहुजन आंदोलन की अनदेखी की', बसपा संस्थापक सदस्य का दावा

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापकों में से एक और नवनिर्वाचित समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद आर के चौधरी ने दावा किया है कि बसपा प्रमुख मायावती बहुजन आंदोलन की अनदेखी करती रही हैं, जिसके कारण उनकी पार्टी को इन लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा।

चार बार के विधायक और पूर्व राज्य मंत्री चौधरी ने कहा, अब, सपा प्रमुख अखिलेश यादव 'पीडीए' (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के नारे के साथ पिछड़ी जातियों और वंचित समुदायों के लिए सामाजिक समानता की मांग करते हुए बहुजन आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। जिनकी गिनती उत्तर प्रदेश के प्रमुख दलित नेताओं में होती है।

एसपी के टिकट पर मोहनलालगंज सीट से सांसद चुने गए चौधरी ने पीटीआई से बातचीत में अन्य बातों के अलावा बीएसपी के गिरते ग्राफ और कांशी राम द्वारा स्थापित पार्टी का भविष्य क्या है, इस पर चर्चा की।

उनके मुताबिक उत्तर प्रदेश की मूल दलित राजनीति फिलहाल नेतृत्वविहीन हो गई है, लेकिन आने वाले समय में कांशीराम द्वारा जगाई गई बहुजनवाद की लौ को सपा आगे बढ़ाएगी।

हाल के लोकसभा चुनाव में बसपा के एक भी सीट नहीं जीत पाने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा, ''मायावती जी हमारी नेता रही हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। लेकिन अगर किसी ने कांशीराम जी के आंदोलन को खत्म किया है, तो वह बहन जी (मायावती) हैं। अब अखिलेश उस आंदोलन को आगे बढ़ाने की राह पर चल पड़े हैं।''

लोकसभा चुनाव में सपा को दलित वोटों का अच्छा खासा हिस्सा मिलने का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ''सपा को इस बार बिना मांगे ही बहुजन समाज पार्टी का कोर वोट मिल गया।''

उन्होंने कहा, ''कहीं 50 प्रतिशत तो कहीं 60 प्रतिशत (दलित वोट) मिले। यह कोई सामान्य बात नहीं है। और आने वाले समय में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी वो सपना जरूर पूरा करेगी, जो बसपा संस्थापक कांशीराम ने जगाया था।"

उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनाने वाली पार्टी बसपा हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके वोट शेयर में भी 2019 के चुनावों से 10 प्रतिशत से अधिक की भारी गिरावट आई, जब इसने 10 सीटें जीतकर 9.39 प्रतिशत पर पहुंच गया था।

चौधरी एक समय बसपा संस्थापक कांशीराम के बहुत करीबी सहयोगी थे। वह राज्य की पिछली सभी चार बसपा सरकारों में भी मंत्री रह चुके हैं। इस लोकसभा चुनाव में उन्होंने राज्य की राजधानी की मोहनलालगंज सीट से केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता कौशल किशोर को 70,000 से अधिक मतों से हराया। बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार को 88,461 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे।

चौधरी ने कहा, "जब कांशीराम थे, तो वह बाबासाहेब अंबेडकर के मिशन को चलाने में सक्षम थे, लेकिन तब बहुजन समाज इसके लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं था।"

उन्होंने कहा, "आज यह समाज संविधान और आरक्षण के बारे में तो जानता है लेकिन अब इनका नेतृत्व करने वाला कोई नहीं है। जहां तक मुख्य दलित नेतृत्व की बात है, मुझे लगता है कि यह स्थान रिक्त है और जो भी प्रयास करेगा, वह नेतृत्व करेगा।"

उन्होंने कहा, "दलित बाबा साहेब अंबेडकर में विश्वास करते हैं, वे कांशी राम जी में भी विश्वास करते हैं। अब कांशी राम नहीं रहे, इसलिए दलित ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि क्या करें।"

उन्होंने एसपी को समुदाय के लिए वर्तमान पथप्रदर्शक बताते हुए कहा "मुझे लगता है कि एक नारा हुआ करता था कि जो बहुजन की बात करेगा वही दिल्ली पर राज करेगा। अब जो नारा लग रहा है वह यह है कि जो पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) की बात करेगा वही दिल्ली पर राज करेगा।" 

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में पीडीए का नारा दिया था और कहा था कि सपा इन वर्गों की लड़ाई को आगे बढ़ाएगी।

चौधरी ने कहा, "पहले नारा था कि बाबा (अंबेडकर) तेरा मिशन अधूरा है, कांशीराम इसे पूरा करेंगे। मिशन चल रहा है। कांशीराम जी अब नहीं रहे। तो अब नारा हो गया है कि बाबा तेरा मिशन अधूरा है, हम सब मिलकर इसे पूरा करेंगे।"

उन्होंने कहा, "जो रास्ता बसपा के संस्थापक कांशीराम ने निकाला था कि बहुजन समाज को एक साथ लाकर एक राजनीतिक ताकत बनानी चाहिए, हमारे नेता अखिलेश यादव ने वही रास्ता अपनाया और पीडीए की बात की। यह वह समाज है जिसे लूटा गया है और यह कमजोर बना हुआ है। सदियों से असहाय पीडीए के गठन के बाद परिवर्तन की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।"

उन्होंने आगे कहा, "हमारा लक्ष्य केंद्र में भाजपा सरकार को सत्ता से हटाना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन हम भाजपा को झटका देने में सफल रहे हैं। पहले केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकार हुआ करती थी, लेकिन अब वहां एक कमजोर सरकार है। देर-सवेर, छह महीने के भीतर यह सरकार गिर जाएगी और इंडिया (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन) गठबंधन सरकार बनेगी।''

हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मंत्री ने कहा, "भाजपा देश में केवल हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करती है। इस राजनीति का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा है। इस चुनाव में अगर उन्होंने इसे नहीं रोका तो उन्हें और अधिक नुकसान उठाना पड़ेगा।"

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