कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने 19 जुलाई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर पर नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ करने के बाद पार्टी नेतृत्व के साथ अपने कथित मतभेद पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। थरूर ने कहा, "पार्टियां सोचती हैं कि आप उनके प्रति वफादार नहीं हैं, लेकिन आपकी पहली प्राथमिकता क्या है? राष्ट्र हमेशा पहला है। अगर भारत मरे तो कौन जिए?" यह बयान उन्होंने तब दिया, जब कांग्रेस में उनके बयानों को लेकर वफादारी पर सवाल उठ रहे हैं।
थरूर, जो विदेश मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख हैं, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंच पर पेश करने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। इस ऑपरेशन को 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। थरूर ने अमेरिका, गुयाना और पनामा में सांसदों, थिंक टैंकों और प्रवासियों से मुलाकात की, जहां उन्होंने भारत की "सटीक और नियंत्रित" प्रतिक्रिया की वकालत की।
कांग्रेस के कुछ नेताओं, जैसे उदित राज, ने थरूर पर बीजेपी की तारीफ करने और पार्टी लाइन से हटने का आरोप लगाया। उदित राज ने कहा कि थरूर "बीजेपी के सुपर प्रवक्ता" की तरह बोल रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि थरूर का 2016 के उरी हमले से पहले भारत द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) न पार करने का बयान गलत था, क्योंकि इससे पहले की कांग्रेस सरकारों के कार्यों को नजरअंदाज किया गया। थरूर ने सफाई दी कि उनका बयान केवल हाल के आतंकी हमलों के जवाबी हमलों के बारे में था, न कि पुराने युद्धों के।
थरूर ने कोलंबिया में भी भारत की स्थिति स्पष्ट की, जहां उन्होंने वहां के बयान पर आपत्ति जताई थी, जिसने पाकिस्तान में हताहतों पर दुख जताया था। इसके बाद कोलंबिया ने अपना बयान वापस लिया और भारत के आतंकवाद विरोधी रुख का समर्थन किया। थरूर का यह रुख कांग्रेस के कुछ नेताओं को असहज कर रहा है, लेकिन वे इसे राष्ट्रीय हित का मुद्दा बताते हैं।