Advertisement

मोदी सरकार का फैसला, आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण

मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सामान्य वर्ग के वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा फैसला लिया है।...
मोदी सरकार का फैसला, आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को मिलेगा 10 फीसदी आरक्षण

मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सामान्य वर्ग के वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा फैसला लिया है। एएनआई के मुताबिक, कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मोदी सरकार के इस फैसले को कथित तौर पर नाराज चल रहे सामान्य वर्ग को साधने के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें हिंदू धर्म के अलावा दूसरे धर्मों के आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग भी शामिल हैं।

संविधान में होगा संशोधन?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरक्षण का आधार आर्थिक रखा गया है। बताया जा रहा है कि यह दस फीसदी आरक्षण संविधान के मुताबिक दिए गए 50 फीसदी के ऊपर होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ किया था कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग या इनके अलावा किसी भी अन्य विशेष श्रेणी में दिए जाने वाले आरक्षण का कुल आंकड़ा 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। इसके लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा। 

दलित आंदोलन, एससी-एसटी एक्ट के बाद नाराज था सवर्ण वर्ग

बीते साल 2 अप्रैल को दलित आंदोलन और एससी-एसटी एक्ट के बाद से मोदी सरकार से सामान्य वर्ग कथित तौर पर नाराज चल रहे थे। माना जा रहा था कि हाल ही में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सामान्य वर्ग की नाराजगी झेलनी पड़ी। इसी वजह से भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले अपने बिखरे वोट बैंक को एकजुट करने की कोशिश की है।

देश की हिंदू आबादी में 31 फीसदी सवर्ण, 125 लोकसभा सीटों पर सामान्य वर्ग का असर

मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पिछड़े वर्ग की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा बताई गई थी। 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि हिंदू आबादी में पिछड़े वर्ग की संख्या 41 फीसदी और सामान्य वर्ग की संख्या 31 फीसदी है। 2014 के एक अनुमान के मुताबिक, 125 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां हर जातिगत समीकरणों पर सवर्ण भारी पड़ते हैं। भाजपा इन सीटों पर सवर्णों को नाराज नहीं करना चाहती।

कांग्रेस ने साधा निशाना

इस फैसले पर कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, बहुत देर कर दी मेहेरबां आते-आते, वो भी तब जब चुनाव नजदीक हैं। वे चाहे जो कर लें, कोई भी जुमला फेंक लें, कुछ भी इस सरकार को बचा नहीं सकता।

यशवंत सिन्हा

इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला जुमले से ज्यादा कुछ नहीं है। यह कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है और संसद के दोनों सदनों से इसे पारित करने का कोई समय नहीं है। सरकार पूरी तरह से बेनकाब है।

कैलाश विजयवर्गीय

इस मुद्दे पर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नए साल का इससे बेहतर कोई और उपहार नहीं हो सकता। कैबिनेट ने फैसला किया है कि सालाना 8 लाख आमदनी या 5 एकड़ से कम खेती वाले सामान्य वर्ग को भी आरक्षण की सुविधा दी।

उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ी सामान्य जातियों के लिए आरक्षण। चुनाव की घोषणा करने वाले बिगुल ने अच्छी और सही तरह से आवाज दी है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad