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राजग और ‘इंडिया’ से अलग हैं 91 सांसदों वाले 11 राजनीतिक दल

देश के 65 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) औेर ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल...
राजग और ‘इंडिया’ से अलग हैं 91 सांसदों वाले 11 राजनीतिक दल

देश के 65 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) औेर ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस’ (इंडिया) दोनों में से किसी एक मोर्चे का साथ चुन लिया है, लेकिन 11 महत्वपूर्ण दल ऐसे भी हैं जो अब तक किसी पाले में नहीं हैं।

इन 11 दलों के कुल 91 सांसद हैं और अपने-अपने असर वाले राज्यों में उनकी प्रभावी उपस्थिति भी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा से लोकसभा में कुल 63 सदस्य चुनकर पहुंचते हैं। इन तीनों राज्यों की सत्तारूढ़ पार्टियां क्रमश: वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और बीजू जनता दल (बीजद) दोनों गठबंधनों से दूर हैं।

कांग्रेस और 25 विपक्षी दलों ने मंगलवार को बेंगलुरु में बैठक कर अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) तय किया। दूसरी तरफ, मंगलवार को ही भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की बैठक हुई जिसमें 39 दल शामिल हुए।

वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजद के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी एक ऐसी महत्वपूर्ण पार्टी है जिसने तटस्थ रुख अपनाया है। बसपा का उत्तर प्रदेश में मुख्य आधार है और कई अन्य राज्यों में भी उसकी मौजूदगी है। वह एक राष्ट्रीय पार्टी है और लोकसभा में उसके 9 सदस्य हैं।

बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों के साथ ही राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा), शिरोमणि अकाली दल (शिअद), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (मान) भी अभी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। वाईएसआर कांग्रेस और बीजद ने ज्यादातर मौकों पर संसद में सत्तापक्ष के समर्थन में मतदान किया है।

बीजद प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य में केंद्रीय योजनाओं को पर्याप्त समर्थन न देने के लिए भाजपा की आलोचना की है और पार्टी के सांसदों से, बृहस्पतिवार को शुरु होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा जोरशोर से उठाने के लिए कहा है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि उनकी पार्टी के साथ ‘राजनीतिक अछूत’ की तरह व्यवहार किया जा रहा है। उनकी पार्टी का असर हैदराबाद में है और वह देश के कुछ अन्य हिस्सों में अपने विस्तार का प्रयास कर रही है।

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