अब पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार ने मौजूदा पार्टी नेतृत्व पर तीखा हमला किया है। बता दें कि आडवाणी और जोशी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं। वहीं यशवंत सिन्हा और शांता कुमार भी इन दिनों पार्टी में हाशिये पर चल रहे हैं। इन नेताओं ने अपने बयान में कहा कि हार के लिए सामूहिक जिम्मेवारी की बात करना खुद को बचाना है। इन नेताओं ने मांग की है कि पार्टी की बिहार में हुई हार की पूरी समीक्षा के साथ-साथ इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।
अपने साझा बयान में भाजपा के इन वरिष्ठ नेताओं ने परोक्ष रुप से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में हार के बाद का रवैया दिखाता है कि जीतने पर जो लोग अपनी वाहवाही करते हैं, वही लोग करारी हार होने पर किस प्रकार अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। साथ ही इन नेताओं ने मांग की कि इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए कि कैसे पार्टी का आम सहमति का आचरण खत्म हो गया और किस प्रकार पूरी पार्टी कुछ लोगों के आगे नतमस्तक हो गई है। इन नेताओं ने समीक्षा में उन लोगों को शामिल नहीं करने की मांग की है जिन्होंने बिहार चुनाव का प्रबंधन किया और उसके लिए जिम्मेदार थे।
बिहार चुनावों में हार के बाद पार्टी में बगावत का बिगुल चारों ओर से तेज हो गया है। सबसे पहले पटना साहिब से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने 8 नवंबर को परिणाम आने के बाद ही पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए खुद पर कार्रवाई की चुनौती दे डाली। जिसके बाद हुकुमदेव नारायण यादव, आर के सिंह और बेगुसराय से सांसद भोला सिंह ने भी पार्ची के नेतृत्व और रणनीति पर सवाल खड़े किए।