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अधिवक्ता आदिश अग्रवाल ने सीजेआई को पत्र लिखा, चुनावी बॉण्ड फैसले की स्वत: समीक्षा का आग्रह किया

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार नेता आदिश सी अग्रवाल ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ को एक पत्र...
अधिवक्ता आदिश अग्रवाल ने सीजेआई को पत्र लिखा, चुनावी बॉण्ड फैसले की स्वत: समीक्षा का आग्रह किया

वरिष्ठ अधिवक्ता एवं बार नेता आदिश सी अग्रवाल ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया है कि वे उच्चतम न्यायालय के उस निर्देश की स्वत: संज्ञान लेकर समीक्षा करें जिसमें कहा गया है कि निर्वाचन आयोग, चुनावी बॉण्ड मामले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा साझा की गई जानकारी को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

सीजेआई की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने चुनावी बॉण्ड मामले में अपने 11 मार्च के आदेश के एक हिस्से में संशोधन का अनुरोध करने वाली आयोग की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। पीठ ने अग्रवाल से 18 मार्च को मामले का फिर से उल्लेख करने के लिए कहा।

 

अग्रवाल उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) और अखिल भारतीय बार एसोसिएशन (एआईबीए) के अध्यक्ष भी हैं। अग्रवाल ने 14 मार्च को सीजेआई को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा था।

सीजेआई की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को दिए एक ऐतिहासिक फैसले में केंद्र की चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था। इस योजना के तहत गुमनाम राजनीतिक वित्तपोषण की अनुमति दी गई थी। पीठ ने इसे ‘असंवैधानिक’ कहा था और निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, उनके द्वारा दी गई राशि और चंदा प्राप्तकर्ताओं के बारे में 13 मार्च तक जानकारी देने का आदेश दिया था।

अग्रवाल ने सीजेआई से स्वत: संज्ञान लेते हुए उस निर्देश की समीक्षा करने का अनुरोध किया जिसमें कहा गया है कि ‘‘निर्वाचन आयोग एसबीआई द्वारा साझा की गई जानकारी 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित निर्णय का पूरी तरह से स्वागत करता हूं, क्योंकि फैसले में बताए गए कारणों की वजह से उक्त योजना को अमान्य करार देना बहुत जरूरी था।’’

उन्होंने कहा कि वह केवल इस निर्देश से असहमत हैं कि निर्वाचन आयोग एसबीआई से जानकारी मिलने के बाद इसे एक सप्ताह के भीतर यानी 13 मार्च, 2024 तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

अग्रवाल ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले में ‘‘चंदा देने वाले कॉर्पोरेट समूहों की पहचान, चंदे की राशि और चंदा प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल के बारे में अचानक खुलासा करने का निर्देश दिया गया है, जिसका उक्त कॉर्पोरेट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’

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