राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बतौर मुख्यअतिथि के तौर पर शामिल होने और भाषण देने को लेकर सियासत गरम है। इस बीच कांग्रेस ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को सच्चाई का दर्पण दिखाया है और पूछा है कि क्या संघ और भाजपा अपनी गलतियों को स्वीकार करेगें। क्या वे उनकी नसीहत स्वीकार करने के बाद अपने चरित्र, विचार प्रक्रिया को बदल देंगे।
कांग्रेस संचार प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में अपने भाषण में मुखर्जी ने आरएसएस को भारत के बहुलवाद, सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता और समग्रता के बारे में पाठ पढ़ाया।
उन्होंने कहा, ''मुखर्जी ने वर्तमान मोदी सरकार को 'राजधर्म' की भी याद दिलाई। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार हमारी विविधता, गैर-हिंसा, बहुसंस्कृतिवाद और विचारों को आत्मसात करे। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि लोगों की खुशी में ही राजा का सुख है, उनका कल्याण ही उसका कल्याण है।''
सुरजेवाला ने सवाल किया, ''क्या आरएसएस मुखर्जी की नसीहत को सुनने और मानने के लिए तैयार है? क्या वह अपने भीतर परिवर्तन के लिए तैयार है? क्या आरएसएस बहुलतावाद, सहनशीलता, अहिंसा, धर्मनिरपेक्षता और विविधता के मूल्यों को स्वीकारने को तैयार है? उन्होंने पूछा, ''क्या वह दलितों, अल्पसंख्यकों और वंचितों के ये पूर्वाग्रह त्याग देने के लिए तैयार है? क्या वह वैज्ञानिक सोच को मानेगी? क्या आरएसएस 'अधीनता, प्रभुत्व और हिंसा' के अपने निहित चरित्र को छोड़ने के लिए तैयार है? क्या आरएसएस ने 'गांधीवादी विचार' को खारिज नहीं किया? 'बाबासाहेब अम्बेडकर' का अपमान किया, लोहिया को खारिज कर दिया। क्या आरएसएस ने 'संवैधानिक देशभक्ति' का पालन करने और 'बहुलतावाद', 'सहिष्णुता' को स्वीकार करने का वादा किया है?''
उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा को अपने चरित्र, विचार को बदलने के लिए आज सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्ध होना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने कहा, “हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए। उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी रहे। यहां प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के स्वयंसेवकों को संबोधित किया और राष्ट्रवाद पर अपने विचार रखे।