प्रधानमंत्री आवास पर मंगलवार को आयोजित इस भोज में देश के विभिन्न भागों के लगभग 50 आरएसएस प्रचारक और भाजपा के कुछ नेता आमंत्रित थे। बताया गया कि इस भोज में आए प्रचारकों के साथ मोदी ने गरीबों के लिए काम करने के मुद्दे पर चर्चा की। हालांकि माना जा रहा है कि इस भोज का आयोजन आरएसएस के उस वर्ग को शांत करने के लिए किया गया जो गौरक्षकों पर मोदी के बयान से नाराज बताए जा रहे थे। कुछ प्रचारकों ने शिकायत की थी कि गौरक्षा केसरिया आंदोलन का मुख्य एजेंडा रहा है और मोदी को इस संबंध में अपनी राय में सावधानी बरतनी चाहिए।
आमंत्रित किए गए प्रचारकों में से ज्यादातर आरएसएस और भाजपा नेताओं की हरियाणा में हुई बैठक का भी हिस्सा थे। बताया जा रहा है कि भोज में विभिन्न मुद्दों के अलावा गोवा आरएसएस की तरह प्रचारकों में उभरती राजनीतिक महत्वकांक्षा पर भी गंभीर चर्चा हुई। गोवा में आरएसएस की पूरी शाखा ने विद्रोह कर राजनीतिक मंच के गठन का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि मोदी ने संघ और भाजपा में बेहतर तालमेल पर जोर दिया। भोज में आमंत्रित आरएसएस प्रचारकों से उन्होंने कहा कि वे पार्टी संगठन के ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं।