दिल्ली चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार के बाद अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि भाजपा को एक संस्थान होने के नाते यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी 'हमेशा मदद नहीं कर सकते।'
दरअसल, दिल्ली चुनाव में भाजपा की हार की समीक्षा करते हुए के अंग्रेजी मुखपत्र 'ऑर्गनाइजर' में आरएसएस ने एक लेख में भाजपा, पार्टी की दिल्ली यूनिट और चुनाव में उतारे गए उम्मीदवारों के बारे में विस्तार से लिखा है। दीन दयाल उपाध्याय के एक उद्धरण वाले एक लेख में लिखा है, 'एक खराब प्रत्याशी केवल इसलिए खुद के बेहतर होने का दावा नहीं कर सकता क्योंकि जिस पार्टी से वह ताल्लुक रखता है वह बेहतरीन है। एक दुष्ट, दुष्ट ही होता है...'। इस लेख में जोर देकर कहा गया है कि बीजेपी को एक संस्थान होने के नाते यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी 'हमेशा मदद नहीं कर सकते।'
‘पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की आवश्यकता'
दिल्ली में फिजा बदली है और इस पर लेख में लिखा गया है, 'नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा विधानसभा स्तर के चुनावों में सहायता नहीं कर सकते और कोई विकल्प नहीं है। लेकिन दिल्ली में स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए पार्टी को नए सिरे से तैयार करने की आवश्यकता है।' इस लेख को संपादक प्रफुल्ला केतकर ने लिखा है और इसका टाइटल है, 'दिल्ली का डायवर्जेंट मैंडेट' इसमें "शहर-राज्य मतदान व्यवहार के संदर्भ" को समझने पर जोर दिया गया है।
'शाहीन बाग नरेटिव' भाजपा के लिए असफल
लेख में कहा गया है कि 'शाहीन बाग नरेटिव' भाजपा के लिए असफल रहा क्योंकि अरविंद केजरीवाल इस मुद्दे पर एकदम स्पष्ट थे। हालांकि, लेखक ने केजरीवाल के 'भगवा अवतार' पर भी प्रकाश डाला है और संकेत दिए हैं कि भाजपा को उन पर नजर रखनी चाहिए। लेख में लिखा है, 'सीएए के बहाने मुस्लिम कट्टरवाद के इस जिन्न का इस्तेमाल हुआ जो केजरीवाल के लिए परीक्षण का नया मैदान बन सकता है। केजरीवाल ने इस खतरे पर किस तरह प्रतिक्रिया दी है। उनका हनुमान चालीसा पढ़ना कितना सही था?'
यह आप का ‘असल पक्ष’ नहीं
इससे पहले खबर आई थी कि संघ और वीएचपी दोनों ने ही हिंदू-केंद्रित राजनीति की जिसके चलते केजरीवाल को बदलते ट्रेंड को अपनाना पड़ा। लेकिन केतकर का मानना है कि यह आप की 'असल' पक्ष नहीं है।