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"अग्निपथ" योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा: कांग्रेस का दावा

कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि सेना में भर्ती की 'अग्निपथ' योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा...

कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि सेना में भर्ती की 'अग्निपथ' योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक खबर का हवाला देते हुए सवाल भी किया कि क्या ये सच नहीं है कि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती की संख्या को 75,000 प्रति वर्ष से घटाकर 46,000 प्रति वर्ष कर दिया गया है? 

खड़गे ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "मोदी सरकार द्वारा अग्निवीर (अग्निपथ) योजना थोपने से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ है। "

उन्होंने सवाल किया, "क्या ये सच नहीं है कि अग्निपथ ने भर्ती की संख्या को 75,000 प्रति वर्ष से घटाकर 46,000 प्रति वर्ष कर दिया है? क्या ये सच नहीं है कि देश के रक्षा मंत्री को बार-बार दोहराना पड़ रहा है कि वे अग्निवीर योजना पर पुनः विचार करेंगे, बदलाव करेंगे, सुधार करेंगे? क्या ये सच नहीं है कि सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) व सेना नए सैनिकों की भर्ती में लगातार हो रही कमी से चिंतित है जो इस दशक के अंत तक सबसे ऊँचे स्तर पर पहुंचने वाली है? "

कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, "एक तरफ़ देश की सीमाओं पर चीनी घुसपैठ, क़ब्ज़ा और अतिक्रमण हो रहा है, जिससे निपटने के लिए अधिक सैन्य बल चाहिए, दूसरी ओर मोदी सरकार ने अग्निवीर से हमारे देशभक्त युवाओं का जीवन तबाह करने का काम किया है। "

उन्होंने कहा, "कांग्रेस की गारंटी है - हम अग्निवीर योजना रद्द करेंगे। तभी हमारे देशभक्त युवाओं को न्याय मिलेगा।"

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश से दावा किया कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है। उन्होंने कहा, "भारतीय सशस्त्र बलों को चीनी आक्रमण से बचाने और उनका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूर्वी लद्दाख में बड़े पैमाने पर जवानों की तैनाती लगातार बनाए रखने की आवश्यकता है।"

रमेश ने कहा, "अग्निपथ ने भर्ती की संख्या को 75,000 प्रति वर्ष से घटाकर 46,000 प्रति वर्ष कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप सेवा दे रहे जवानों की संख्या में कमी आएगी, जिससे अगले दशक में हमारी सुरक्षा से समझौता हो सकता है।"

कांग्रेस महासचिव ने कहा, "एक बात और है। मात्र छह महीने के प्रशिक्षण के बाद अग्निवीरों को युद्ध के लिए तैयार मान लिया जाता है। यह उस नीति का परिणाम है जो मोदी सरकार ने बिना परामर्श के और तीनों सेना प्रमुखों के विरोध के बावजूद बिना सोचे-समझे बनाई। "

रमेश ने आरोप लगाया, "निवर्तमान प्रधानमंत्री/स्वघोषित भगवान का अहंकार देश की सुरक्षा से भी बड़ा हो गया है।"

 

 

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