भाजपा ने रविवार को एनसीपी विधायक दल के नेता के तौर पर अजीत पवार को हटाने को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह ''अवैध'' है। दरअसल, शनिवार को पवार ने भाजपा से हाथ मिलाया जिसके बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फड़नवीस और उप-मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने शपथ ली। इस राजनीतिक घटना के कुछ ही घंटों बाद पवार को एनसीपी के विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया।
इस पर आपत्ति जताते हुए भाजपा नेता आशीष शेलार ने पत्रकारों से कहा कि अजीत पवार के बदले जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बनाया गया लेकिन इस दौरान विधायकों की बैठक में शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के सभी विधायक मौजूद नहीं थे।
शेलार ने कहा, "राज्यपाल को समर्थन का पत्र अजीत पवार ने एनसीपी के विधायक दल के नेता के रूप में दिया था। पवार की जगह पर पाटिल को चुना जाना अवैध है।"
अजीत पवार की नियुक्ति को नहीं दी गई है चुनौती
भाजपा विधायक ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका (फडणवीस के राज्यपाल के शपथ ग्रहण के फैसले के खिलाफ शिवसेना और अन्य दावारा दाखिल) में अजीत पवार की 30 अक्टूबर की नियुक्ति को चुनौती नहीं दी गई है।" उन्होंने कहा कि एनसीपी विधायक दल के नेतृत्व में बदलाव को राज्यपाल द्वारा सत्यापित करने की आवश्यकता होगी।
अहम बातें
-शनिवार को नाटकीय रूप से फडणवीस मुख्यमंत्री के रूप में वापस लौटे, वहीं अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
अजीत पवार के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले ने एनसीपी में दरार पैदा कर दी, जिसके बाद पार्टी प्रमुख शरद पवार ने अपने भतीजे की नाटकीय कार्रवाई से खुद को दूर कर लिया, उन्होंने कहा कि फडणवीस के साथ जाने का निर्णय उनकी व्यक्तिगत पसंद थी, पार्टी का नहीं।
-शनिवार शाम को एनसीपी ने अजीत पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। पार्टी ने कहा कि उनका कदम पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं था।
-शिवसेना ने बाद में फडणवीस के शपथ ग्रहण के राज्यपाल कोश्यारी के फैसले को "मनमाना और दुर्भावनापूर्ण" बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।