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योगी के "लाल टोपी-काले कारनामे" वाले बयान पर भड़के अखिलेश, कहा- 'जिनके जीवन में प्रेम की कमी...'

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ''टोपी लाल है लेकिन काम काले हैं'' वाले तंज पर समाजवादी...
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ''टोपी लाल है लेकिन काम काले हैं'' वाले तंज पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पलटवार करते हुए कहा कि कोई भी रंग अच्छा या बुरा नहीं होता, यह परिप्रेक्ष्य के बारे में है। उन्होंने कहा कि जिनके जीवन में प्यार, मिलन और सद्भाव की कमी है, वे अक्सर लाल रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं।

यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में रंगों और उनके महत्व के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। उनकी यह टिप्पणी आदित्यनाथ के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था, "हर कोई सपा के कुकर्मों से परिचित है। अगर आप पन्ने पलटेंगे तो पता चलेगा कि सपा का इतिहास काले कारनामों से भरा है। सपा की टोपी 'लाल' है लेकिन इसका कर्म 'काले' है। वे अपना इतिहास दोहरा रहे हैं।"

अखिलेश यादव ने कहा, "जनता की संसद का प्रश्नकाल! प्रश्न - लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें। उत्तर -रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।"

उन्होंने लाल और काले रंग को विस्तार से परिभाषित करते हुए कहा, "प्रश्नगत ‘लाल’ और ‘काले’ रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैं: ‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं।"

लाल रंग के बारे में सपा नेता ने कहा, " लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं। इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है। "

बाद में, काले रंग की व्याख्या में उन्होंने कहा, "’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नज़र से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग। जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं। पश्चिम में काला रंग ‘नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी। मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुँची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही। नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है अत: जिनकी राजनीतिक सोच ‘डर’ और ‘अविश्वास’ जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं। रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह; जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है। ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि ‘काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह’ का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है। "

पूर्व मुख्यमंत्री ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा, "अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नज़रिया होता है।"

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