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अमर्त्य सेन बोले- 2019 में गैर-सांप्रदायिक ताकतों को आना होगा साथ, भाजपा ने किया पलटवार

केन्द्र की भाजपा सरकार पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के बयान को लेकर राजनीति...
अमर्त्य सेन बोले- 2019 में गैर-सांप्रदायिक ताकतों को आना होगा साथ, भाजपा ने किया पलटवार

केन्द्र की भाजपा सरकार पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के बयान को लेकर राजनीति गरमा गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अमर्त्य सेन पर निशाना साधते हुए उनकी तुलना उन लोगों से की जिन्होंने हमेशा समाज को गुमराह किया। भाजपा ने यह बयान ऐसे समय दिया जब इससे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता सेन ने 2019 लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा विरोधी गैर सांप्रदायिक ताकतों के एकजुट होने का आह्वान किया था।

समाचार एजेंसी पीटीआआई के मुताबिक, पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी के एक कार्यक्रम के इतर मीडिया से कहा, ‘‘हमेशा वाम विचारधारा का अनुसरण करने वाले सेन जैसे बुद्धिजीवी वास्तविकता से दूर हो रहे हैं। सेन ने कहा था कि माकपा गायब हो रही है। इससे ज्यादा सच कुछ भी नहीं हो सकता, इस तथ्य से ज्यादा सच कुछ नहीं हो सकता कि सेन जैसे मार्क्सवादी लोगों का वर्तमान समय में ज्यादा महत्व नहीं है।’’

अमर्त्य सेन ने क्या कहा था?

अमर्त्य सेन ने कहा कि सभी गैर-सांप्रदायिक ताकतों को साल 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाम दलों को उनके साथ शामिल होने में ‘हिचकना’ नहीं चाहिए क्योंकि लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा कि हमें निश्चित रूप से निरंकुशता के विरुद्ध विरोध जताना चाहिए। 

मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि हमें निश्चित रूप से उनकी निरंकुश प्रवृत्तियों के खिलाफ लडऩा चाहिए। हमें निश्चित रूप से उन मुद्दों की आलोचना करनी चाहिए जहां हमें गैर-सांप्रदायिक दक्षिणपंथी ताकतों के विरोध की आवश्यकता हो। लेकिन जब बात सांप्रदायिकता से लडऩे की आए तो हमें बिल्कुल अपने हाथ पीछे नहीं खींचने चाहिए, जो आज सबसे बड़ा खतरा बन गया है।’

उन्होंने केन्द्र की भाजपा सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को महज 31 प्रतिशत वोट मिले और राजनीति में अपने गलत इरादों’ की बदौलत पार्टी सत्ता में आई। सेन ने सवाल-जवाब सत्र के दौरान कहा, ‘वर्ष 2014 में चुनावों में क्या हुआ? एक पार्टी जिसे 55 प्रतिशत सीटें मिलीं, लेकिन वास्तव में उसने कुल मतों का महज 31 प्रतिशत मत पाया... वो सत्ता में आई...। एक बीमार इरादों वाली पार्टी।

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