Advertisement

अमेरिका का हालिया रुख ‘चुनौती और चेतावनी’ दोनों, मोदी सरकार की विदेश नीति विफल: कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को मोदी सरकार की विदेश नीति के विफल रहने और घरेलू राजनीतिक नफे-नुकसान से...
अमेरिका का हालिया रुख ‘चुनौती और चेतावनी’ दोनों, मोदी सरकार की विदेश नीति विफल: कांग्रेस

कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को मोदी सरकार की विदेश नीति के विफल रहने और घरेलू राजनीतिक नफे-नुकसान से प्रभावित होने का आरोप लगाया और दावा किया कि अमेरिका की तरफ से हाल के दिनों में भारत को ‘‘तीन बड़े कूटनीतिक झटके’’ लगे हैं तथा वाशिंगटन का हालिया रुख ‘‘चुनौती और चेतावनी’’ दोनों हैं।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केवल विभाजनकारी राजनीति में रुचि रखते हैं’’ जिसके बारे में गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

रमेश का यह भी कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी को ‘अपनी हठ और प्रतिष्ठा की चिंता’ छोड़कर सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए, ताकि राष्ट्र अपनी सामूहिक इच्छाशक्ति को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सके और देश के सामने एक ठोस रोडमैप प्रस्तुत किया जा सके।

उन्होंने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को अमेरिका का न्यौता मिलने और एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए यह भी कहा कि दशकों की कूटनीतिक प्रगति को इतनी आसानी से कमजोर नहीं होने दिया जा सकता।

रमेश ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘कल, भारतीय विदेश नीति और कूटनीति को तीन और बड़े एवं स्पष्ट झटके लगे। अमेरिकी केंद्रीय कमान के जनरल (माइकल कुरिल्ला) ने बयान दिया कि पाकिस्तान आतंकवाद से मुकाबले में एक शानदार साझेदार है। शानदार क्या है? दो मई, 2011 को ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के एबटाबाद में पाया गया था और आप उस देश को एक शानदार साझेदार कह रहे हैं।’’ उनके अनुसार, पहला ‘‘झटका’’ अमेरिकी जनरल द्वारा पाकिस्तान को ‘‘क्लीन चिट’’ देना है।

रमेश ने आगे कहा, ‘‘इतने भड़काऊ और उकसाने वाले बयान देने वाले असफल फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने दो राष्ट्र के सिद्धांत, हिंदू और मुसलमानों के बारे में बात की। उनके बयान और 22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसके बीच सीधा संबंध है। उसी आसिम मुनीर को 14 जून को अमेरिकी सेना दिवस पर अमेरिका जाने का विशेष निमंत्रण मिलता है, जो समझ से परे है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, तीसरा झटका यह है कि अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता ने फिर से दोहराया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करवाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में रख दिया है तथा प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर इस पर पूरी तरह से चुप हैं।

रमेश ने कहा, ‘‘वह (मोदी) विदेश से लौटे प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मिलते हैं, लेकिन उनके पास राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलने के लिए सर्वदलीय बैठक का समय नहीं है। हमारा लोकतंत्र राजनीतिक दलों पर आधारित है, व्यक्तियों पर नहीं।’’

मुख्य विपक्षी दल तथा कुछ अन्य विपक्षी दल पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद के घटनाक्रमों को लेकर कई बार संसद के विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक की मांग उठा चुके हैं। सरकार संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से बुलाए जाने की घोषणा कर चुकी है।

रमेश ने कहा, ‘‘क्या वह (मोदी) चीन और पाकिस्तान के साथ हमारी चुनौतियों और अब अमेरिका के साथ हमारी चुनौती पर विशेष चर्चा कराने जा रहे हैं। हमने सोचा था कि हमारा अमेरिका के साथ ‘हनीमून’ का दौर चल रहा है, लेकिन उसने कल भारतीय कूटनीति को तीन बड़े झटके दिए हैं।’

रमेश ने कहा, यह भारत सरकार, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की और उनके पक्ष में ढोल बजाने वालों की ‘‘विफलता’’ है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से हैरान हूं कि ये झटके प्रधानमंत्री द्वारा सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात के दो दिन बाद आए हैं।’’

रमेश ने पीएम पर व्यक्तियों को चुन-चुनकर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार की विदेश नीति घरेलू राजनीतिक नफे-नुकसान से तय हो रही है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad