सोमवार तड़के केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से फेफड़े के कैंसर से जूझ रहे थे। शंकरा अस्पताल के निदेशक नागराज ने बताया कि कुमार ने तड़के दो बजे आखिरी सांस ली। उस वक्त उनकी पत्नी तेजस्विनी और दोनों बेटियां भी वहां मौजूद थीं।
अमेरिका और ब्रिटेन में इलाज कराने के बाद अनंत कुमार हाल में ही बेंगलुरु लौटे थे। उनका बाद में यहां शंकरा अस्पताल में उपचार चल रहा था।
संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ बोलने वाले पहले व्यक्ति थे कुमार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दृढ़ विचारक, संगठन के मजबूत स्तंभ, बेंगलुरु के ‘सबसे ज्यादा पसंद’ किए जाने वाले सांसद और संयुक्त राष्ट्र में कन्नड़ बोलने वाले पहले व्यक्ति, ये कुछ ऐसी विशिष्टताएं हैं जो केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार के व्यक्तित्व से परिचय कराती हैं।
राजनीतिक निपुणता के लिए विख्यात थे अनंत कुमार
अपनी राजनीतिक निपुणता के लिए विख्यात अनंत कुमार छह बार सांसद रहे। वह राजनीति की जबर्दस्त समझ रखते थे और बेहद मिलनसार थे। वह भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हमेशा करीब रहे, चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी या लालकृष्ण आडवाणी का दौर रहा हो या फिर अभी नरेंद्र मोदी के समय में।
एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे कुमार
22 जुलाई, 1959 को बेंगलुरु में एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में जन्मे कुमार ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपनी मां गिरिजा एन शास्त्री के मार्गदर्शन में पूरी की जो खुद भी एक ग्रेजुएट थीं। उनके पिता नारायण शास्त्री रेलवे के कर्मचारी थे।
एबीवीपी के प्रदेश सचिव और राष्ट्रीय सचिव भी रहे अनंत कुमार
कला एवं कानून में स्नातक कुमार के सार्वजनिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहने के कारण हुई। वह एबीवीपी के प्रदेश सचिव और राष्ट्रीय सचिव भी रहे।
कुमार ने तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया था और करीब 30 दिनों तक वह जेल में भी रहे। राजनीति में अपने लिए बड़ी संभावनाएं तलाशने के लिए 1987 में कुमार भाजपा में शामिल हुए जहां उन्हें कभी प्रदेश सचिव, कभी युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष तो कभी महासचिव और राष्ट्र सचिव बनाया गया।
1996 में कुमार ने शुरू किया अपना संसदीय करियर
अनंत कुमार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा समेत उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्हें कर्नाटक में भाजपा के विकास का श्रेय दिया जा सकता है। कुमार ने अपना संसदीय करियर 1996 में शुरू किया जब वह दक्षिण बेंगलुरु से लोकसभा में चुने गए। यह निर्वाचन क्षेत्र उनके निधन तक उनका मजबूत गढ़ बना रहा जहां उन्हें लगातार छह बार जीत मिली।
15वीं लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद कुमार ने विभिन्न संसदीय समितियों में पद संभाले और नरेंद्र मोदी नीत सरकार में बतौर संसदीय कार्य मंत्री और केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री रहे।