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प.बंगाल में टोल प्लाजाओं पर सेना की तैनाती का संसद मेंं कड़ा विरोध

पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजाओं पर सैनिकों की मौजूदगी पर तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने संसद में कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे एक साजिश करार दिया और इस मामले में राज्य की ममता बनर्जी सरकार को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाया। हालांकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसे तूल देना राजनीतिक हताशा का परिचायक है तथा इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को पूरी जानकारी थी।
प.बंगाल में टोल प्लाजाओं पर सेना की तैनाती का संसद मेंं कड़ा विरोध

तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को उठाते हुए मांग की कि सेना को तुरंत वापस बुलाया जाए। पार्टी ने सेना के इस कदम को संघीय ढांचे के विरूद्ध बताया। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर तृणमूल का साथ दिया।

टोल प्लाजा पर सैनिकों की मौजूदगी और इसके विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पूरी रात राज्य के सचिवालय में रूकने को लेकर बवाल खड़ा हो गया। ममता ने सवाल किया कि क्या यह सैन्य तख्तापलट है जिस पर केंद्र ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की राजनीतिक कुंठा को दर्शाता है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने ममता के आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि यह नियमित अभ्यास था। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सेना को अनावश्यक विवाद में घसीटा जा रहा है। सेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्राी के इन आरोपों का मजबूती से खंडन किया है कि राज्य सरकार को सूचित किए बिना ही सैन्यकर्मियों को टोल प्लाजा पर तैनात किया गया था और वे पैसे वसूल रहे थे और कहा कि अभ्यास कोलकाता पुलिस के साथ समन्वय से किए जा रहे हैं। वैसे, सेना के जवान सचिवालय के निकट के टोल प्लाजा से कल रात हट गए थे। तृणमूल कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों ने कोलकाता में राजभवन के बाहर धरना भी दिया।

ममता ने राज्य सचिवालय नबान्न में गुरुवार देर रात संवाददाताओं से बात की। उन्होंंने कहा, हमारे लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए मैं सचिवालय में ही रूकूंगी। उन्होंने पूछा, क्या यह सैन्य तख्तापलट है।

लोकसभा में इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पूर्वोत्‍तर राज्यों एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा है और सेना के नियमित अभ्यास को लेकर इस प्रकार का विवाद खड़ा करना दुखद और गलत है। उन्होंने कहा, सेना के नियमित अभ्यास पर विवाद पैदा करना वास्तविक स्थिति पेश करने की बजाय राजनीतिक हताशा का परिचायक है।

पर्रिकर ने कहा कि पश्चिम बंगाल में इस संबंध में कोलकाता पुलिस के आग्रह पर तारीखों में परिवर्तन किया गया। उन्होंने बताया कि इस अभ्यास की मूल तिथि 28 से 30 नवंबर थी लेकिन इसे कोलकाता पुलिस के आग्रह पर बदलकर 1 और 2 दिसंबर किया गया क्योंकि उन दिनों नोटबंदी के विरोध में भारत बंद का आवहान किया गया था।

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह अभ्यास पश्चिम बंगाल के लिए अलग नहीं है क्योंकि भारी वाहनों की गतिविधि के बारे में सूचना एकत्र करने के मकसद से पिछले महीने भी उत्तरप्रदेश, बिहार, झाारखंड में एेसे अभ्यास हुए थे।उन्होंने कहा कि इस बारे में सेना ने प्रदेश के संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी। पश्चिम बंगाल में अधिक यातायात को देखते हुए ये अभ्यास स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर किये गए।

इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि गुरुवार दोपहर अचानक यह पाया गया कि पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजाओं को सेना ने अपने कब्जे में ले लिया है। मुख्यमंत्राी ममता बनर्जी ने पाया कि इस बारे में सचिवालय से कोई अनुमति नहीं ली गई। राज्य केे 19 स्थानों पर एेसे अभ्यास किये गए। उन्होंने कहा, हम रक्षा मंत्राी से आग्रह करते हैं कि तत्काल सेना को वापस बुलाया जाए। यह संघीय ढांचे के खिलाफ है।

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि यह गंभीर विषय है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्राी अनंत कुमार ने कहा कि देश की सेना पर राजनीति करना ठीक नहीं है। सेना देश और लोकतंत्र की रक्षा करती है। जो कुछ भी पूर्वोत्‍तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में हुआ, वह नियमित अभ्यास का हिस्सा है।

उधर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सेना निष्पक्ष होकर अपना काम करती है और अभी तक उस पर पक्षपात का कोई आरोप नहीं लगा है। लेकिन पश्चिम बंगाल में सेना ने 19 टोल प्लाजाओें को अपने कब्जे में ले लिया और इसकी जानकारी राज्य प्रशासन को नहीं थी।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि सेना ने टोल प्लाजाओं को अपने कब्जे में ले लिया और राज्य प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि वह सेना को किसी विवाद में नहीं घसीटना चाहते और हमें अपनी सेना पर गर्व है। उन्होंने सवाल किया कि संविधान और कानून के किस प्रावधान के तहत सेना की इस प्रकार की तैनाती की गयी। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना सेना की तैनाती की गयी जो देश के संघीय ढांचे पर हमला है।

राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि एेसे अभ्यास स्थानीय पुलिस की मदद से किए गए हैं। सदन में जारी हंगामे के बीच ही उन्होंने कहा कि इस अभ्यास का मकसद किसी संभावित राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान वाहनों की उपलब्धता का पता करना था।

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सदस्य मंत्री के बयान का विरोध करते हुए एक समय आसन के समक्ष आ गए और नारेबाजी करने लगे। 

तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने दावा किया कि मंत्री का बयान गलत और गुमराह करने वाला है। सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मंत्री के बयान में जो आपातस्थिति का जिक्र किया गया है, वह बाढ़ जैसी स्थिति के लिए है और एेसे अभ्यास हर साल किए जाते हैं तथा पश्चिम बंगाल में भी पहले अभ्यास किए गए हैं। भाषा एजेंसी 

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