अरुण शौरी के अचानक आए बयान से भारतीय जनता पार्टी में खलबली है। अरुण शौरी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल पर सवाल उठाए तो भाजपा को बचाव में उतरना पड़ा। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘शौरी के एक विद्वान के रूप में, एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में और एक राजनीतिक पर्यवेक्षक के रूप में, मामलों पर उनके अपने विचार रहे हैं। लेकिन मुझे लगता है कि इस बार वह मोदी जी के प्रति कुछ कठोर हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘यह कहना कि सरकार, खासकर आर्थिक मामलों में दिशाहीन है, सही नहीं है और यह टिप्प्णी अत्यधिक निराशाजनक है।’ भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब शौरी ने भाजपा को निशाने पर लिया है। उन्होंने शौरी की केवल अच्छे समय का मित्र कह कर उनकी आलोचना की।
पात्रा ने कहा, ‘बहुत से ऐसे लोग हैं जो अच्छे समय में मित्र होते हैं। जब चीजें ठीक होती हैं तो ऐसे लोग पार्टी में घुसने को बेताब होते हैं और इसमें असफल होने पर शत्रुतापूर्ण रवैया अपना लेते हैं। भाजपा नेता ने कहा कि नीतियां बनाने को लेकर मोदी सरकार के प्रो-एक्टिव रूख के कारण भारत सभी मोर्टे पर आज आगे बढ़ रहा है। चाहे यह आर्थिक क्षेत्र हो, रोजगार का क्षेत्र हो या आम आदमी की सभी आकांक्षाओं को पूरा करने का मामला हो।
पात्रा ने कहा, ‘न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय इन नीतियों के साथ है, न केवल निवेशक साथ है, बल्कि आंकड़े भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं मोदी के नेतृत्व में चुनाव के दौरान जो वादे किए गए हम उन्हें पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। शौरी ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा है कि इसकी आर्थिक नीतियां दिशाहीन है जबकि सामाजिक वातावरण अल्पसंख्यकों के मन में बड़ी बेचैनी पैदा कर रहा है।
पत्रकार से राजनीतिक बने 73 वर्षीय शौरी ने कहा कि मोदी का एक साल का शासन टुकड़ों में अच्छा है और उनके प्रधानमंत्री बनने से विदेश नीति पर अच्छा असर पड़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर किए गए वादे पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।
उनका यह भी कहना है कि लगता है, सरकार सुर्खियां बटोरने के प्रबंधन में ज्यादा लगी है बजाय नीतियों को दुरूस्त करने के। हालात ऐसे हैं कि पजल के टुकड़े इधर उधर पड़ें हैं और यह समझ नहीं आ रहा है कि उन्हें सही जगह कैसे बिठाया जाए।