बृहस्पतिवार को हुए नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में बागी विधायकों ने एक होटल में बुलाई अस्थाई विधानसभा में विधानसभा के स्पीम नबाम रेबिया पर महाभियोग चलाया। कांग्रेस के बागी 20 विधायकों की इस बैठक में भाजपा के 11 और दो निर्दलीय विधायकों ने भाग लिया। जब तुकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया तब आसन पर उपाध्यक्ष टी नोरबू थांगदोक बैठे थे जो खुद बागी कांग्रेसी हैं। बाद में 60 सदस्यों की विधानसभा के 20 बागी कांग्रेस विधायकों समेत कुल 33 सदस्यों ने कांग्रेस के विधायक कलिखो पुल को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुन लिया। मुख्यमंत्री नबाम तुकी और उनके समर्थक 26 कांग्रेसी विधायकों ने इस कार्यवाही को असंवैधानिक करार देते हुए इसका बहिष्कार किया। अरूणाचल प्रदेश में राजनीतिक संकट के मध्य विधानसभा को सील कर दिया गया था, इसलिए बागी विधायकों ने एक होटल में विधानसभा का सत्र बुलाया।
हाईकोर्ट ने लगाई रोक
राज्यपाल द्वारा 14 जनवरी, 2016 से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को एक महीना पहले 16 दिसंबर से बुलाने के लिए जारी अधिसूचना को चुनौती देते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने 1 फरवरी तक विधानसभा के सभी निर्णयाें पर रोक लगा दी है। उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति रिषीकेश राॅय ने प्रथम दृष्टया कहा कि राज्यपाल द्वारा विधानसभा सत्र को तय समय से पहले बुलाने की कवायद संविधान के अनुच्छेद 174 और 175 का उल्लंघन है। हालांकि, अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा की ओर से हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील के संकेत दिए गए हैं क्योंकि इस मामले में उनका पक्ष नहीं सुना गया।
इस सियासी घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री तुकी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया कि राज्यपाल जेपी राजखोवा द्वारा लोकतंत्र की अभूतपूर्व तरीके से हत्या किए जाने और लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार की अनदेखी करने की स्थिति में संविधान को कायम रखने के लिए हस्तक्षेप करें।
कांग्रेस ने संसद में उठाया मुद्दा
अरुणाचल प्रदेश में पैदा राजनैतिक संकट का मुद्दा संसद में भी छाया हुआ है। कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा पर कांग्रेस विधायकों में फूट डालने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार अप्रत्यक्ष रूप से अरुणाचल प्रदेश की लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास कर रही है। राज्यपाल के पद का उपयोग सरकार के विरूद्ध किया जा रहा है। उधर, संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू का कहना है अरुणाचल प्रदेश के घटनाक्रम में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है।