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कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

कांग्रेस ने रविवार को पंजाब में कमलनाथ की जगह पार्टी सचिव आशा कुमारी को एआईसीसी प्रभारी नियुक्त किया लेकिन जमीन कब्जाने के एक मामले में उनके दोषी होने को लेकर विवाद शुरू हो गया। इससे पहले कमलनाथ ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों में कथित भूमिका को लेकर भाजपा, अकाली दल और आप के विरोध के बाद पिछले दिनों यह जिम्मेदारी छोड़ दी थी।
कमलनाथ के बाद कांग्रेस की नई पंजाब प्रभारी आशा कुमारी पर भी उठा विवाद

हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से विधायक कुमारी कोे इस साल फरवरी में चांबा की एक अदालत ने एक साल के कैद की सजा सुनाई थी लेकिन वह फिलहाल जमानत पर हैं। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। आशा कुमारी पार्टी में अनेक जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं। कुमारी को चांबा की एक अदालत ने जमीन हड़पने के एक मामले में 26 फरवरी को दोषी ठहराया था और एक साल कैद की सजा के साथ 8000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने उन्हें आपराधिक षड़यंत्र का दोषी ठहराया था। बाद में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 19 मार्च को उनकी एक साल की सजा को निलंबित कर दिया।एआईसीसी सचिव और चौथी बार विधायक बनीं कुमारी मामले में छह अन्य लोगों के साथ एक दशक से अधिक समय से मुकदमे का सामना कर रहीं थीं।

 

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कमलनाथ को इसी महीने इस पद पर नियुक्ति के तीन दिन के भीतर जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी थी। पार्टी सूत्रों ने पहले कहा था कि पंजाब में किसी मौजूदा महासचिव को अस्थाई रूप से तब तक के लिए प्रभारी बनाया जा सकता है, जब तक नए नेताओं को एआईसीसी में शामिल करने पर फैसला नहीं हो जाता। पंजाब भाजपा के नेता विनीत जोशी ने कहा कि नियुक्ति दुर्भाग्यपूर्ण और अनुचित है। उन्होंने कहा, पहले कमलनाथ और अब आशा कुमारी, जिन्हें अदालत ने जमीन कब्जाने के एक मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई, वो भी हाल ही में। मुझे लगता है कि उनके पास अच्छे नेता नहीं हैं।

 

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