उन्होंने कहा कि एक छात्र की मौत पर ऐसा असंवेदनशील रवैया देखकर उन्होंने उस बहस में हस्क्षेप किया और आक्रामक रवैया दिखाया। यही नहीं स्मृति ईरानी से जब पूछा गया कि वह राहुल को किस प्रकार आंकती हैं तो उन्होंने कहा, ‘मैं पांच साल से राज्यसभा की सदस्य हूं और मेरी सांसद निधि का खर्च करीब-करीब 100 फीसदी है। दूसरी ओर राहुल 12 वर्ष से सांसद हैं, उनकी सांसद निधि का खर्च निकालकर देख लीजिए और खुद आकलन कर लीजिए।’ उत्तर प्रदेश में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किए जाने से संबंधित सवाल के जवाब में ईरानी ने कोई जवाब नहीं दिया।
इंटरव्यू में ईरानी ने मीडिया द्वारा खुद को निशाना बनाए जाने की बात भी परोक्ष रूप से कही। खासकर एक अंग्रेजी अखबार द्वारा संसद में रोहित मामले पर उनके आक्रामक रवैये को लेकर ‘आंटी नेशनल’ शीर्षक लगाए जाने की उन्होंने यह कहते हुए आलोचना की कि भारत माता की जय कहने के कारण उनके लिए इस प्रकार के शीर्षक का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा, ‘संपादक सोच रहे होंगे कि यह बेहतरीन शीर्षक है मगर क्या आप भारत माता की जय बोलने के कारण अपना ऐसा कैरिकेचर बनने की उम्मीद कर सकते हैं?’
राजस्थान में पाठ्यपुस्तकों से नेहरू से संबंधित जानकारियां हटाए जाने और शिक्षा के राजनीतिकरण से संबंधित सवालों के जवाब में ईरानी ने कहा कि पहली बात तो यह है कि शिक्षा समवर्ती सूची में है इसलिए राज्यों को इस बारे में फैसला करने का हक है कि वह पाठ्यपुस्तकों में क्या शामिल करना चाहते हैं। इसकी छूट हर राज्य सरकार को है भले ही वह किसी भी पार्टी की हो। इसके साथ ही स्मृति ने कांग्रेस पार्टी पर भी हमला बोला और कहा कि वह हर छोटे-छोटे मुद्दे को उठाकर खबरों में बने रहना चाहती है मगर लोग चुनाव में उसे जैसा जवाब दे रहे हैं उससे उसे समझ आना चाहिए कि जनता से जुड़े मुद्दे उठाना ज्यादा जरूरी है।