झारखंड में बिजली संकट और बिगड़ती कानून-व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रस्तावित स्वीडन और स्पेन यात्रा को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस विदेश दौरे की समय-सीमा, उद्देश्य और प्रतिनिधिमंडल में शामिल व्यक्तियों की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं।
मरांडी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच “एक्स” पर पोस्ट करते हुए कहा कि जब राज्य में कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है और बिजली की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है, तब मुख्यमंत्री एक बड़े सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरे में मुख्यमंत्री की पत्नी और झामुमो विधायक कल्पना सोरेन की भागीदारी को लेकर भी उन्होंने तीखा सवाल खड़ा किया है।
मरांडी ने पूछा, “यदि इस यात्रा का उद्देश्य विदेशी निवेश को आकर्षित करना है, तो फिर राज्य के उद्योग मंत्री को प्रतिनिधिमंडल से बाहर क्यों रखा गया है?”
उन्होंने कहा कि भले ही उद्योग विभाग के सचिव और निदेशक इस दौरे का हिस्सा हैं, लेकिन मंत्री की अनुपस्थिति से इस यात्रा की मंशा पर संदेह होता है।
भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब झामुमो सरकार में मंत्रियों को प्रमुख भूमिकाओं से दूर रखा गया हो। उन्होंने दावा किया कि कोलकाता में आयोजित एक महत्वपूर्ण निवेश बैठक में भी उद्योग मंत्री को अंतिम क्षणों में रोक दिया गया था, जो सीधे तौर पर अपमानजनक था।
उन्होंने सवाल उठाया, "अगर यह दौरा आधिकारिक है, तो कल्पना सोरेन किस हैसियत से इसमें भाग ले रही हैं? और यदि यह निजी दौरा है, तो फिर सरकारी खर्च पर अधिकारियों की पूरी टीम क्यों भेजी जा रही है?"
मरांडी ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा अधिकारी की भागीदारी पर भी सवाल खड़े किए, जिनकी भूमिका और साख राज्य में पहले भी चर्चा का विषय रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कार्यशैली पर निशाना साधते हुए मरांडी ने कहा, “झामुमो सरकार में सहयोगी दलों के मंत्रियों की उपेक्षा एक परंपरा बन गई है। कई विभागों की नीतिगत निर्णय प्रक्रिया अब अनाधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री की पत्नी के इर्द-गिर्द सिमटती जा रही है।”
गौरतलब है कि हाल ही में हेमंत सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन को 'संस्थापक संरक्षक' की भूमिका सौंपी गई है। यह फैसला रांची में आयोजित झामुमो के 13वें केंद्रीय अधिवेशन में लिया गया था।
झामुमो ने हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर कांग्रेस, राजद और वाम दलों के साथ मिलकर झारखंड में सरकार बनाई है। साथ ही पार्टी केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का भी हिस्सा है।
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