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बेंगलुरु: विपक्ष की बैठक से पहले सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ लगे पोस्टर, लिखा "अस्थिर प्रधानमंत्री पद के दावेदार"

मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक से पहले एक प्रमुख यातायात जंक्शन पर बिहार के मुख्यमंत्री...
बेंगलुरु: विपक्ष की बैठक से पहले सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ लगे पोस्टर, लिखा

मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक से पहले एक प्रमुख यातायात जंक्शन पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कुछ पोस्टर लगे दिखाई दिए, जिसपर उनके राज्य में सुल्तानगंज पुल ढहने के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया।

पोस्टर चालुक्य सर्कल, विंडसर मैनर ब्रिज और हेब्बल के पास एयरपोर्ट रोड पर देखे गए। बता दें कि 'चालुक्य सर्कल' पर लगाए गए पोस्टरों के बारे में पता चलते ही पुलिस हरकत में आ गई। गौरतलब है कि यह स्थान बैठक स्थल से महज कुछ ही दूरी पर है। नीतीश कुमार भी बैठक में भाग ले रहे हैं।

पोस्टरों में से एक में लिखा है, "बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वागत है। सुल्तानगंज पुल, बिहार को नीतीश कुमार का उपहार जो टूटता रहता है। जबकि बिहार में पुल उनके शासन का सामना नहीं कर सकते, 'विपक्षी पार्टी' अभियान का नेतृत्व करने के लिए उन पर भरोसा करें।"

एक अन्य पोस्टर में कहा गया, "अस्थिर प्रधानमंत्री पद के दावेदार। बेंगलुरु ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए रेड कार्पेट बिछाया है। सुल्तानगंज पुल ढहने की पहली तारीख- अप्रैल 2022। सुल्तानगंज पुल ढहने की दूसरी तारीख- जून 2023।"

फिलहाल, पुलिस ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है कि ये पोस्टर किसने लगाए थे। बता दें कि आज कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आह्वान पर बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। इससे पहले, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 23 जून को बिहार के पटना में पहली बैठक हुई थी।

बैठक का उद्देश्य एक ऐसे गठबंधन का निर्माण करना है, जो 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को टक्कर दे सके। इस बीच, विपक्षी दल की बैठक के पहले दिन की शुरुआत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा आयोजित रात्रिभोज बैठक से हुई।

रात्रिभोज के बाद कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि बैठक की शुरुआत अच्छे संकेतों के साथ हुई है और 2024 में भाजपा का अंत तय है। माना जा रहा है कि बैठक में राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट साझा करने की प्रक्रिया पर चर्चा होगी और गठबंधन के लिए नाम भी चर्चा का विषय हो सकता है।

विपक्षी दल ईवीएम के मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं और चुनाव आयोग को सुधारों का सुझाव दे सकते हैं। विपक्षी नेताओं ने प्रस्तावित गठबंधन के लिए एक साझा सचिवालय भी स्थापित किया। इसके अलावा, कई समितियों के गठन की उम्मीद है जो गठबंधन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठकें करेंगी। विभिन्न समूह और उप-समूह भी बनाये जा सकते हैं।

इस बैठक में एक संयोजक नियुक्त किया जा सकता है और न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करने के अलावा विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए समूहों का गठन किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस चाहती है कि गठबंधन का अध्यक्ष, उनके दल से हो। हालांकि, पार्टी इस मामले पर अड़ी नहीं होगी और विपक्षी दलों के संयुक्त निर्णय के अनुसार चलने को तैयार होगी।

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