केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए की सहयोगी जेडीयू ने सोमवार को मांग की कि मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया जाए। यह मांग ऐसे समय में आई है जब कुछ दिन पहले ही बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का फैसला किया है।
जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने कहा कि वह इस मांग को लेकर जल्द ही केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान से मुलाकात करेंगे।
एक्स पर एक पोस्ट में झा ने लिखा, "मैथिली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए मैं जल्द ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी से मिलूंगा। मैथिली भाषा का संरक्षण और संवर्धन शुरू से ही मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। मैंने 2018 में मैथिली को शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में शामिल करने का आधार तैयार किया था।"
जदयू नेता ने दावा किया कि उनके प्रयासों के कारण केंद्र सरकार द्वारा गठित मैथिली विद्वानों की एक विशेषज्ञ समिति ने 31 अगस्त 2018 को अपनी रिपोर्ट में 11 सिफारिशें की थीं।
उन्होंने कहा, "पहली सिफारिश यह थी कि मैथिली भाषा करीब 1300 साल पुरानी है और इसका साहित्य स्वतंत्र और निरंतर विकसित हुआ है। इसलिए इसे शास्त्रीय भाषा की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। लेकिन इसे ऐसा दर्जा नहीं मिल पाया है।"
मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया के अलावा छह भाषाओं - तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और ओडिया - को पहले शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल किया गया था।
झा ने यह भी लिखा, "मुझे विश्वास है कि केंद्र की एनडीए सरकार विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुरूप मैथिली को भी शास्त्रीय भाषा का दर्जा देगी।"
उन्होंने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि बिहार और केंद्र की एनडीए सरकारों ने मैथिली भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए सभी कार्य किए हैं।"
झा ने कहा, "मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने पहल की थी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मिथिला क्षेत्र के लोगों की दशकों पुरानी मांग को पूरा करते हुए मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया था।"
झा ने कहा कि जब 2005 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी तो उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के पाठ्यक्रम में मैथिली को शामिल किया, जिसे "पिछली कांग्रेस और राजद गठबंधन सरकार ने पाठ्यक्रम से हटा दिया था।"
उन्होंने कहा, "यह सर्वविदित तथ्य है कि 19 मार्च 2018 को मैंने तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की थी और उन्हें एक ज्ञापन सौंपकर मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए एक विशेषज्ञ समिति बनाने तथा इसके लिए धन आवंटन का आग्रह किया था।"
झा ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर लिखा, "जावड़ेकर जी ने मेरा ज्ञापन स्वीकार कर लिया था और मैथिली लिपि के संरक्षण, संवर्धन और विकास के लिए मैथिल विद्वानों को आमंत्रित कर एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्देश जारी किया था तथा इसके लिए नाम सुझाने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी।"
उन्होंने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देकर मंत्री को सौंप दिया।