पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के विवादित बयान पर जहां राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने विरोध जताया है। वहीं, आसनसोल से पार्टी के सांसद बाबुल सुप्रियो ने भी इससे पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने बयान को गैर जिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि यह उनके दिमाग की उपज है।
सुप्रियो ने ट्वीट किया, ‘‘पार्टी के नाते भाजपा का उससे कुछ लेना देना नहीं है जो दिलीप घोष ने अपनी कल्पना के अनुरूप कहा होगा। उत्तर प्रदेश और असम में भाजपा सरकारों ने कभी भी लोगों पर गोलियां नहीं चलाईं, कारण जो भी रहा हो। दिलीप दा ने जो कहा, वो बहुत गैरजिम्मेदाराना है।’’
ये दिया था विवादित बयान
इससे पहले बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को "उत्तर प्रदेश की तरह” गोली मारने की बात कही थी। उन्होंने एक जनसभा में कहा कि आगजनी करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को "उत्तर प्रदेश के जैसे गोली मार दी जाएगी।"
दरअसल, घोष यहां उन उपद्रवियों के बारे में बात कर रहे थे जिन्होंने बंगाल में नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान रेलवे और सार्वजनिक संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पिछले साल राज्य में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया। राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर न ही लाठीचार्ज और न ही गोली चलाने के आदेश दिए क्योंकि वह लोग ममता बनर्जी के मतदाता हैं। उन्होंने कहा, 'क्या ये उनके पिता की संपत्ति है। वो लोग (प्रदर्शनकारी) टैक्स देने वालों के पैसों से बनी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान कैसे पहुंचा सकते हैं।
यूपी-असम-कर्नाटक सरकार ने गोली चलाकर सही किया
उन्होंने कहा, "उत्तर प्रदेश, असम और कर्नाटक की सरकारों ने इन राष्ट्रविरोधी तत्वों (एंटी-सीएए विरोध के दौरान) पर गोली चलाकर सही काम किया।" उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "वे यहां आएंगे, सभी सुविधाओं का आनंद लेंगे और देश की संपत्ति को नष्ट कर देंगे। क्या यह उनकी जमींदारी है!"
पश्चिम बंगाल में एक करोड़ "मुस्लिम घुसपैठिए"
घोष ने हिंदू बंगालियों के हितों को नुकसान पहुंचाने वालों की पहचान करने का भी आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि देश में दो करोड़ "मुस्लिम घुसपैठिए" हैं। उन्होंने कहा कि एक करोड़ अकेले पश्चिम बंगाल में हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं।
सीएए को लेकर चल रहा है विरोध
मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को संसद में पेश किया था। दोनों सदनों से इसे पारित करवा लिया गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद प्रस्तावित संशोधन कानून में जोड़ दिए गए। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने में सहूलियत दी गई है। जबकि इसमें से मुस्लिमों को बाहर रखने के कारण देश में विरोध प्रदर्शन तेज है।