सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती की तुलना वेश्या से कर डाली है। इस बयान के सामने आने के बाद से राजनीतिक हंगामा मचा हुआ है। तकरीबन सभी दलों ने दयाशंकर सिंह के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। भारतीय जनता पार्टी ने सिंह को पद से हटा दिया है। खुद मायावती ने इसपर तल्ख प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बसपा की बढ़ती ताकत से बौखलाकर विरोधी ऐसे आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं। मायावती ने कहा कि इस तरह के आपत्तिजनक बयान से साबित होता है कि बसपा की लोकप्रियता से भाजपा कितनी हताश है। राज्यसभा में बेहद उत्तेजित मायावती ने कहा कि इस भाजपा नेता ने मुझे नहीं बल्कि अपनी बहन-बेटी के लिए ऐसा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मैं चार बार मुख्यमंत्री रही हूं, कई बार संसद में रही हूं मगर कभी ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं किया। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति में आने के बाद यह तय किया कि दलितों की सेवा के लिए शादी नहीं करुंगी। बसपा के संस्थापक कांशीराम ने तय किया था कि पार्टी एक वोट, एक नोट के सिद्धांत पर चलेगी और पार्टी आजतक उसी पर चलती है। लेकिन पूंजीवादी लोगों को यह अच्छा नहीं लगता।
दूसरी ओर, भाजपा ने इस मामले में डैमेज कंट्रोल का प्रयास आरंभ कर दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने दयाशंकर के बयान के लिए माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि ऐसे आपत्तिजनक बयान किसी के लिए नहीं दिए जा सकते। मौर्य ने यह भी कहा कि दयाशंकर सिंह को कहा गया है कि वो अपने बयान के लिए माफी मांगें। खुद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संसद में इस बयान पर खेद जताया और कहा कि पार्टी संबंधित नेता के खिलाफ कार्रवाई करेगी। बाद में सिंह को उपाध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से हटाने की घोषणा कर दी गई।
सिंह ने मायावती पर हमला बोलते हुए कहा था कि बसपा सुप्रीमो वेश्या से भी गई बीती हैं। कोई वेश्या भी अगर किसी से कोई कॉन्ट्रेक्ट करती है तो उसे पूरा करती है जबकि मायावती किसी से एक करोड़ रुपये लेकर उसे पार्टी टिकट देती हैं और थोड़ी देर बाद कोई दो करोड़ दे तो पहले का टिकट काटकर दूसरे को और शाम में कोई तीन करोड़ दे तो पहले दोनों का टिकट काटकर तीसरे को दे देती हैं।