केंद्र सरकार ने जुलाई में कई राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की। छत्तीसगढ़ को भी करीब 11 महीने बाद पूर्णकालिक राज्यपाल मिल गया। केंद्र सरकार ने भाजपा नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की उपाध्यक्ष सुश्री अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल बनाया। सुश्री उइके राज्य की पहली आदिवासी महिला गवर्नर होंगी। कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत करने वाली सुश्री उइके तेजतर्रार नेता मानी जाती हैं। आदिवासी बहुल राज्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के नेता को राज्य के संवैधानिक प्रमुख की कुर्सी सौंपे जाने के कई मायने लगाए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में करीब 32 फीसदी आदिवासी हैं
छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 29 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। 15 साल सत्ता में रही भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में एक भी आदिवासी सीट पर जीत नहीं मिली। उलटे तीन सामान्य सीट पर भी कांग्रेस के आदिवासी नेता जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंच गए। छत्तीसगढ़ में करीब 32 फीसदी आदिवासी हैं। आदिवासी वोटर दो तिहाई सीटों पर प्रभाव रखते हैं। ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए रणनीतिक नजरिये से अनुसुइया उइके को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल बनाया है। आदिवासी वोट बैंक को देखकर ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में छत्तीसगढ़ के कोटे से पहली बार की सांसद रेणुका सिंह को राज्य मंत्री बनाया गया है। राज्य भाजपा के अध्यक्ष विक्रम उसेंडी भी आदिवासी नेता हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता को ही संगठन की भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। भाजपा राज्य में ओबीसी की जगह अब आदिवासी वोट पर अपना ध्यान केंद्रित करने की रणनीति पर काम कर रही है।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 15 सीटों पर सिमटने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने सभी 10 सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरे उतारे और 11 में से नौ सीटें जीत ली। माना जा रहा है कि 2023 के चुनाव में भी पार्टी पुराने की जगह नए चेहरों पर दांव चल सकती है।
आदिवासी नेताओं पर दांव
केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के पुराने नेताओं के “पुनर्वास” का काम भी शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को पहले ही पार्टी का राष्ट्र्रीय उपाध्यक्ष बनाकर उनके अनुभव का लाभ राष्ट्रीय स्तर पर ले रही है। अब सात बार के सांसद रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल बनाकर उन्हें सम्मान दिया है। श्री बैस छत्तीसगढ़ से राज्यपाल बनने वाले पहले नेता हैं। आने वाले दिनों में राज्य के कुछ और भाजपा नेताओं की सेवाएं केंद्रीय स्तर पर लेने की चर्चा है। छत्तीसगढ़ के ही आदिवासी नेता रामविचार नेताम भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
अनुसुइया उइके आदिवासी समाज से शुरू से ही जुड़ी रहीं
कांग्रेस को 2018 के विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई से ज्यादा सीटें मिलीं। अनुसुइया उइके ऐसी नेता हैं जो कांग्रेस को भी अच्छी तरह समझती हैं और भाजपा को भी। वह छात्र राजनीति के साथ आदिवासी समाज से भी शुरू से जुड़ी रहीं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की। छिंदवाड़ा जिले के ग्राम रोहनाकला में 10 अप्रैल 1957 को जन्मी अनुसुइया उइके को 1985 में दमुआ विधानसभा सीट से कमलनाथ ने ही कांग्रेस का टिकट दिलवाया था। कमलनाथ से दूरी के कारण 1990 में कांग्रेस की टकट नहीं मिली तो भाजपा का रुख कर लिया। भाजपा में संगठन के कई पदों पर रहीं। वह 2006 से 2012 तक राज्यसभा की सदस्य थीं। छिंदवाड़ा जिले के तामिया कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर कॅरियर शुरू करने वाली अनुसुइया उइके राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में भी रहीं।