प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार और कालाधन की समाप्ति के लिए नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उनके सिवाए कोई और नहीं उठा सकता। हरियाणा में खुद को पिछड़ों और दलितों का नेता स्थापित करने के लिए संघर्षरत राजकुमार सैनी को सुनने के लिए इस प्रदेश के अलावा आसपास के अन्य प्रदेशों से भी बड़ी तादाद में पिछड़े और दलित आए हुए थे। मगर उनके भाषण से उन्हें बेहद मायूसी हुई। सैनी ने ऐसी कोई बात नहीं कि जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे, बल्कि कुछ मायने में उनका भाषण भटकाव का शिकार रहा। समानता सम्मेलन में केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री तथा बिहार के रोहतास से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी से सांसद उपेंद्र कुश्वासा ने भी शिरकत की, पर वे ज्यादा कुछ नहीं बोले।
लोकतांत्रिक सुरक्षा मंच के बैनर तले सोमवार को समानता सम्मेलन का आयोजन राजकुमार सैनी ने कुरूक्षेत्र के थीम पार्क में ज्योति बा फूले के नाम पर किया था। कार्यक्रम से भाजपा नेता दूर रहे, न ही पार्टी के झंडे का इसके लिए इस्तेमाल किया गया। मगर सैनी प्रधानमंत्री का बार-बार नाम लेते रहे। पूर्व में भाजपा को लेकर उनका जैसा रुख रहा है, क्यास था कि वह मंच से इसके विरूद्ध बिगुल फूकेंगे या किसी नई पार्टी अथवा संगठन का ऐलान करेंगे, पर ऐसा कुछ नहीं कहा। भाषण के अंत में 2019 का हवाला देते हुए सिर्फ इतनी बात कही कि 2017 में आज ही के दिन आगली रणनीति तय करने वे उनसे जिंद में मिलेंगे।
सैनी ने अपने भाषण में जाटों को निशाने पर रखा। किसी का नाम लिए बगैर कहा कि ‘ इस जाति के परिवार के सभी लोगों को आसानी से सरकारी नौकरी मिल जाती है। सभी तरह की नौकरियों में वे छाए हुए हैं, पर नौकरी के असली हकदार इससे वंचित हैैं।’ उन्होंने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था में बदलाव की मांग करते हुए कहा कि ‘जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी नौकरी में हिस्सेदारी होनी चाहिए।’ राजकुमार सैनी ने उनपर जान लेवा हमला करने वाले जाट युवकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं करने पर प्रदेश की भाजपा सरकार की आलोचना की। इनेलो के विरूद्ध उन्होंने एक शब्द नहीं कहा, पर कांग्रेस की जमकर खिंचाई की। उन्होंने पुरानी बातें दोहराते हुए राज्यसभा भंग करने और जनसंख्या नियंत्रण की वकालत की।