भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश से जुड़े पदाधिकारियों से चर्चा के दौरान पाया कि पार्टी नेता एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। कोई गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम आगे करना चाह रहा है तो किसी की नजर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर टिकी हुई है। भाजपा से जुड़े एक बड़े पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी को कोई ऐसा नाम नहीं मिल पा रहा है जो पूरे प्रदेश के भाजपा नेताओं को स्वीकार्य है। दरअसल प्रदेश में भाजपा की लड़ाई कई स्तर पर है। पूरब के नेताओं को पश्चिम के नेता स्वीकार नहीं करते तो पश्चिम के नेताओं को पूरब के। हिन्दुत्व के नायक बने योगी आदित्यनाथ को लेकर पार्टी के कई बड़े नेता सहमति नहीं जता पा रहे हैं। वहीं स्मृति ईरानी के बारे में कहा जा रहा है कि वह प्रदेश से बाहर की हैं और पार्टी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी तो दे सकती है लेकिन उनके नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ा जा सकता।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी नेताओं के सामने उमा भारती का भी प्रस्ताव रखा गया। उमा पिछड़ी जाति से हैं और पार्टी की फायर ब्रांड नेता के रूप में जानी जाती हैं। ऐसे में उनके नाम को लेकर भी कयास लगाया जा रहा है। लेकिन पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश अध्यक्ष को लेकर है। भाजपा नेताओं का तर्क है कि अगर प्रदेश अध्यक्ष बदला गया तो फिर से संगठन में भी बदलाव होगा जिसको लेकर विरोध हो सकता है। ऐसे में एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि मौजूदा अध्यक्ष के ही नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए। जातिगत समीकरणों को भी ध्यान में रखकर पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति बड़ी चुनौती है।