भारतीय जनता पार्टी में 75 पार बुजुर्गों को चुनावी राजनीति से किनारे कर दिया गया है। हालांकि कई बड़े नेताओं ने तो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा काफी पहले ही जाहिर कर दी थी जबकि ऐसे भी कई बड़े नेता हैं जिनका मन इस बार चुनावी मैदान में उतरने का था। लेकिन पार्टी की ओर से उन्हें मायूसी हाथ लगी। लिहाजा कुछ नेताओं ने इच्छा होने के बावजूद खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। वहीं कई नेताओं की नाराजगी खुलकर सामने आ गई।
अब लोकसभा स्पीकर और इंदौर से आठ बार सांसद सुमित्रा महाजन की नाराजगी भी छलकी है। पार्टी की ओर से असमंजस की स्थिति होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। महाजन को टिकट नहीं मिलता है तो लाककृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्रा के बाद वह भाजपा की चौथी वरिष्ठ नेता होंगी जो इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगे।
सुमित्रा महाजन
लोकसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने इंदौर लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी की घोषणा में अर्निणय की स्थिति पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अब वह आम चुनाव नहीं लड़ेंगी।
आठ बार लोकसभा में सांसद रहीं महाजन ने सवाल किया, ‘‘भारतीय जनता पार्टी ने आज तक इंदौर में अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। यह अर्निणय की स्थिति क्यों है? संभव है कि पार्टी को निर्णय लेने में कुछ संकोच हो रहा है।’’
उम्मीदवार की घोषणा को लेकर पार्टी के अभी भी असमंजस में होने का हवाला देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने भाजपा से नि:संकोच हो कर मुक्त मन से निर्णय करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह घोषणा करती हूं कि मुझे अब लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना है।’’
मुरली मनोहर जोशी
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को भी इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया। पार्टी की तरफ से टिकट नहीं दिए जाने की खबरों से दुखी मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के वोटर्स को एक पत्र लिखा, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ। इस पत्र में मुरली मनोहर जोशी ने बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने उन्हें सलाह दी है कि कानपुर और उसके अलावा कहीं से भी मुझे चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। कानपुर से पहले जोशी वाराणसी से सांसद थे। 2014 में उन्होंने यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ दी थी। अब उन्हें चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया गया है।
लाल कृष्ण आडवाणी
भाजपा के संस्थापकों में से एक और वरिष्ठ सांसद लालकृष्ण आडवाणी भी टिकट नहीं मिलने के कारण दुखी हैं। पिछले दिनों उन्होंने ब्लॉग लिखकर अप्रत्यक्ष तरीके से पार्टी के वर्तमान नेतृत्व पर सवाल खड़े किए। हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में टिकट कटने की बजाय उसके तरीके से लालकृष्ण आडवाणी काफी दुखी हैं। सूत्रों का कहना है कि आडवाणी को इस बात का मलाल है कि उनसे इसे लेकर किसी बड़े नेता ने मुलाकात तक नहीं की। इतना ही नहीं, जिस तरीके से उनका टिकट काटा गया, वह काफी अपमानजनक था। गुजरात के गांधी नगर से लगातार 6 बार सांसद रहे आडवाणी को जितना दुख टिकट कटने का नहीं, उससे कहीं ज्यादा इसके तरीके से है। भाजपा ने गुजरात के गांधी नगर से आडवाणी की अमित शाह को टिकट दिया है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के ऐसे बुजुर्ग नेताओं को चुनाव न लड़ने के लिए राजी करने की जिम्मेदारी संगठन महासचिव रामलाल को सौंपी गई। कहा गया कि वह पार्टी के संबंधित वरिष्ठ नेताओं से संपर्क कर अनुरोध करें कि वह चुनाव लड़ने की जगह आराम करें। जबकि आडवाणी चाहते थे कि पार्टी नेतृत्व इस मसले पर सीधे उनसे बात करें।
कलराज मिश्र
टिकट कटने वाले नेताओं में पार्टी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र का भी नाम है। हालांकि जिस दिन उम्मीदवारों की सूची आने वाली थी, उससे एक दिन पहले ही कलराज मिश्र ने ट्वीट कर कह दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। सूत्रों का कहना है कि कलराज मिश्र यह चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं देने का मन बना लिया था जिसकी वजह से उन्हें खुद चुनाव लड़ने से इनकार करना पड़ा।