साल 2019 में केंद्र सरकार अपने तीन पड़ोसी देश से आने वाले गैर-मुस्लिम शर्णार्थियों को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून लाई थी। जिसके बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुआ था। नए साल में कोरोना महामारी के दस्तक देने से ये मामला कुछ दिनों के लिए दब गया था। लेकिन, एक बार फिर से ये मामला सुर्खियों में आ गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे फिर से हवा दे दी है। भाजपा का कहना है कि नए साल आने के साथ हीं आने वाले शर्णार्थियों को नागरिकता दी जाएगी।
भाजपा के महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 2021 के जनवरी से सीएए कानून के तहत नागरिकता देना शुरू करेगी। बातचीत में विजयवर्गीय ने कहा, "उम्मीद है कि सीएए कानून के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देने का काम अगले साल जनवरी से शुरू हो जाएगा"
भाजपा का ये सीएए का फिर से राग आगामी चुनावी शोर के बरअक्स देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल में साल 2021 के अप्रैल-मई महीने में विधानसभा चुनाव हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार इस कानून का विरोध करती रही हैं। वहीं, राज्य में बड़ी संख्या में पलायन करने वाले लोग रह रहे हैं। बीजेपी अब इसे चुनावी फायदे के चश्में से देख रही है।
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सीएए के मुताबिक पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान से दिसंबर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है।