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बोफोर्स की तारीफों के दिन

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को कहा कि बोफोर्स की तोपें अच्छी हैं। लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के उस बयान पर टिप्पणी करने से इन्‍कार कर दिया जिसमें बोफोर्स कांड को मीडिया ट्रायल कहा गया है। एक स्‍वीडिश अखबार को दिए इंटरव्‍यू में प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि बोफोर्स सौदे को घोटाला कहना उचित नहीं है। वह एक मीडिया ट्रायल था।
बोफोर्स की तारीफों के दिन

पर्रिकर ने यहां पत्रकारों से कहा, मैं बस इतना प्रमाणित कर सकता हूं कि बोफोर्स तोपें अच्छी हैं। मैं राष्ट्रपति के बयान पर कोई बयान नहीं देता। अगर आप बोफोर्स तोपों की गुणवत्ता के बारे में पूछेंगे तो वे अच्छी हैं। इससे पहले राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी के स्‍वीडिश अखबार को दिए इंटरव्‍यू के हवाले से बोफोर्स खबरें आई थीं।

इस इंटरव्‍यू में प्रणव मुखर्जी ने कहा कि बोफोर्स सौदे को घोटाला कहना उचित नहीं होगा क्‍योंकि देश की किसी भी अदालत ने इसे घोटाला नहीं बताया है। इस सौदे के काफी वर्षों तक वह देश के रक्षा मंत्री रहे। उनके जनरलों ने हमेशा बोफोर्स को सबसे बढि़या तोपों में से एक बताया। सेना आज भी इसका इस्‍तेमाल कर रही है। घोटाले की बात सिर्फ मीडिया में थी। इस मामले में मीडिया ट्रायल हुआ। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या बोफोर्स घोटाला मीडिया स्कैंडल था, तो उन्होंने कहा मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं, यह आप कह रहे हैं। हां इसे मीडिया में प्रचार जरूर मिला। अभी तक यह स्थापित करना बाकी है कि बोफोर्स की खरीद में कोई घोटाला हुआ है। बोफोर्स सौदे पर राष्‍ट्रपति की प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब अगले महीने वाले वह स्‍वीडन की यात्रा पर जाने वाले हैं। 

उल्लेखनीय है कि सन 1986 में भारत और स्वीडिश हथियार कंपनी बोफोर्स के बीच 285 मिलियन डॉलर का हॉवित्जर तोप का सौदा हुआ था। लेकिन बाद में स्वीडिश रेडियो ने आरोप लगाया कि बोफोर्स ने भारत के आला नेताओं और रक्षा अधिकारियों को सौदे के लिए रिश्वत दी थी। यह सौदा राजीव गांधी सरकार के समय हुआ, जिसके चलते राजीव गांधी छवि काे गहरा धक्‍का लगा। भाजपा समेत सभी विपक्षी दलों ने बोफोर्स कांड को खूब उछाला। नतीजन राजीव गांधी को चुनाव में हार झेलनी पड़ी थी। 

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