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नए आपराधिक कानून लागू होते ही कांग्रेस का केंद्र पर बुलडोजर हमला, ओवैसी भी भड़के

आज (1 जुलाई) से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो हो रहे हैं। कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक...
नए आपराधिक कानून लागू होते ही कांग्रेस का केंद्र पर बुलडोजर हमला, ओवैसी भी भड़के

आज (1 जुलाई) से पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो हो रहे हैं। कानून की यह संहिताएं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) हैं। नए कानूनों के तहत कुछ धाराएं हटा दी गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी भी गई हैं। इस बीच नए कानूनों के लागू होने को लेकर सियासत शुरू हो गई है और विपक्ष ने इन कानूनों का विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि इंडिया ब्लॉक देश में 'बुलडोजर न्याय' को नहीं चलने देगा।

बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया है।

खड़गे ने कहा, "चुनाव में राजनीतिक व नैतिक झटके के बाद मोदी जी और भाजपा वाले संविधान का आदर करने का ख़ूब दिखावा कर रहें हैं, पर सच तो ये है कि आज से जो आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन क़ानून लागू हो रहे हैं, वो 146 सांसदों को सस्पेंड कर जबरन पारित किए गए। INDIA अब ये “बुलडोज़र न्याय” संसदीय प्रणाली पर नहीं चलने देगा।"

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट करके भारतीय न्याय संहिता के तीनों कानूनों को तुरंत रोकने की मांग की है। उन्होंने कहा ये पुलिसिया स्टेट की नींव डाली जा रही है, नए क्रिमिनल कानून भारत को वेलफेयर स्टेट से पुलिस स्टेट बनाने की नींव रखेंगे। उन्होंने कहा कि संसद में इन कानूनों पर फिर से चर्चा हो उसके बाद ही कोई फैसला लिया जाए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बीच सोमवार को सरकार की आलोचना की और कहा कि यह मौजूदा कानूनों को ‘‘ध्वस्त’’ करने तथा उनके स्थान पर बिना पर्याप्त चर्चा व बहस के तीन नए कानून लेकर आने का एक और उदाहरण है। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि दीर्घावधि में, तीन कानूनों को संविधान और आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप लाने के लिए उनमें और बदलाव किए जाने चाहिए।

चिदंबरम ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘तथाकथित नए कानूनों का 90-99 फीसदी अंश कांट-छांट करने, नकल करने और इधर से उधर चिपकाने का काम है। यह काम मौजूदा तीन कानूनों में कुछ बदलाव करके किया जा सकता था लेकिन यह व्यर्थ कवायद बना दी गयी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हां, नए कानूनों में कुछ सुधार किए गए हैं और हम उनका स्वागत करते हैं। उन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था। दूसरी ओर, कई प्रतिगामी प्रावधान भी है। कुछ बदलाव प्रथम दृष्टया असंवैधानिक हैं।’’

वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्य रहे सांसदों ने इन कानूनों के प्रावधानों पर विचार किया और तीन विधेयकों पर असहमति को लेकर विस्तारपूर्वक पत्र लिखा।

चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने असहमति पत्रों में आलोचनाओं का कोई खंडन नहीं किया या जवाब नहीं दिया तथा संसद में कोई सार्थक बहस नहीं की। उन्होंने कहा, ‘‘कानूनविदों, बार संघों, न्यायाधीशों और वकीलों ने कई लेखों तथा संगोष्ठियों में तीन नए कानूनों में गंभीर खामियों का जिक्र किया है। सरकार में से किसी ने इन सवालों का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह तीन मौजूदा कानूनों को ध्वस्त करने तथा उनके स्थान पर बिना पर्याप्त चर्चा व बहस के तीन नए कानूनों को लाने का एक और उदाहरण है।’’

ओवैसी ने ट्वीट किया अपना पुराना वीडियो

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपना पुराना वीडियो एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा,'तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो जाएंगे। इनके क्रियान्वयन में बड़ी समस्याओं के बावजूद सरकार ने इनके समाधान के लिए कुछ नहीं किया है। ये वे मुद्दे थे जिन्हें मैंने इनके लागू होने का विरोध करने के लिए उठाया था।'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नए कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गयी थी।

 

 

 

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