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बंगाल के बाद पंजाब में राज्यपाल और सीएम के बीच ठनी, डीजीपी को तलब किए जाने पर बिफड़े कैप्टन अमरिंदर

पश्चिमी बंगाल के बाद पंजाब में भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच  ठन गई है। पिछले 100 दिन से पंजाब में...
बंगाल के बाद पंजाब में राज्यपाल और सीएम के बीच ठनी, डीजीपी को तलब किए जाने पर बिफड़े कैप्टन अमरिंदर

पश्चिमी बंगाल के बाद पंजाब में भी राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच  ठन गई है। पिछले 100 दिन से पंजाब में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विराेध में आंदोलनरत किसानों द्वारा बिगाड़ी जा रही कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर द्वारा पंजाब की मुख्य सचिव विन्नी महाजन व पुलिस महानिदेशक दिनकर गुप्ता को तलब किए जाने पर राज्यपाल बदनौर के प्रति तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर राज्यपाल प्रदेश की कानून व्यवस्था पर कोई स्पष्टीकरण चाहते हैं तो वे सीधे मेरे मेरे आला अफसरों की बजाय मुझे तलब करें। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य में अमन-कानून की व्यवस्था खराब होने का भाजपा का झूठा प्रचार कृषि काूननों और किसानों के आंदोलन से ध्यान भटकाने का भाजपा का हथकंडा है और हथकंडे के रुप में ही भाजपा राज्यपाल का उपयोग कर रही है। मुख्यमंत्री ने भाजपा द्वारा रिलायंस जियों के मोबाइल टावर्स को नुकसान पहुंचाने की कुछ घटनाओं को कानून व्यवस्था की समस्या बता कर किसानों के अनुशासित आंदोलन को कमजोर करने की साजिश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिग्रस्त हुए टावर्स की मुरम्मत की जा रही है और जिनकी बिजली काटी गई थी वहां बिजली आपूर्ति बहाल की जा रही है। 

रिलायंस के टावर्स को नुकसान पहुंचाए जाने की घटनाओं को कानून व्यवस्था िबगड़ने से जोड़े जाने की भाजपा की कड़ी निंदा करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कड़ाके की ठंड और बारिश में दिल्ली की सीमाओं पर किसान पिछले करीब दो महीने से अपनी हकों की लड़ाई के लिए शांतिपूर्ण ढंग से बैठे हैं वहीं भाजपा के नेता उन्हें खालिस्तानी और दंगाई करार दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के माथे पर नक्सली, खालिस्तानी जैसे आरोप लगाने की बजाय पंजाब भाजपा के नेताओं को अपने केंद्रीय पर अन्नदाताओं की गुहार सुन खेती कानून रद्द करने के लिए दबाव डालना चाहिए उन्होंने कहा कि किसानों की जिंदगी दाव पर लगी है और इस पर भी भाजपा नेताओं ने घटिया राजनीति करते हुए राज्यपाल के संवैधानिक पद को भी इस सियासी एजैंडे में खींच लिया।

मुख्यमंत्री ने भाजपा के हथकंडों के आगे राज्यपाल द्वारा झुक जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि कानून व्यवस्था बारे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की शिकायत पर राज्यपाल ने सिर्फ एक दिन में ही प्रतिक्रिया और आला अफसरों को सीधे तलब करने की कार्रवाई कर दी पर पंजाब विधानसभा में पारित संशोधित कृषि बिलों को पिछले ढाई महीने से राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेजा है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने भाजपा की पंजाब इकाई की िखंचाई करते हुए कहा कि , ‘‘एक पार्टी जिसने देश के तमाम लोकतांत्रिक संस्थानों को लगभग नष्ट कर दिया हो, उसे किसी और को अलोकतांत्रिक बताने का कोई हक नहीं।’’

पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने राज्यपाल द्वारा प्रदेश मुख्य सचिव व पुलिस निदेशक को तलब करने की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि राज्यपाल को याद रखना चाहिए कि पंजाब पश्चिम बंगाल या पुड्डुचेरी नहीं है। उन्होंने राज्यपाल के प्रदेश के मामलों में बिना किसी कारण दखल दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि कांग्रेस संवैधानिक पदों की स्वायत्तता की समर्थक रही है लेकिन राज्यपाल प्रदेश के अधिकार क्षेत्र में बिना वजह दखल दे रहे हैं, जो मंजूर नहीं है। 

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