नोटबंदी पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार चौतरफा घिर गई है। शिवसेना के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने निशाना साधा है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि हकीकत तो ये है कि नोटबंदी में वित्त मंत्री को भी भरोसे में नहीं लिया गया।
‘नोटबंदी कुछ चहेतों के काले धन को सफेद करने के लिए की गई’
पी.चिदंबरम ने आगे कहा, 'अगर मान लिया जाए कि पूरी रकम बैंकिंग सिस्टम में है तो इसका मतलब है कि 3-4 लाख करोड़ रुपया काला धन सफेद हो चुका है। इससे शक होता है कि नोटबंदी कुछ चहेतों के काले धन को सफेद करने के लिए की गई।'
‘नोटबंदी के बाद लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भरोसा घटा’
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, '8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद लोगों के हाथों में जो कैश हैं वो नोटबंदी के पहले से 1.4 प्रतिशत ज्यादा है। क्यों लोग इतनी मात्रा में अपने पास कैश रखे हुए हैं? इसका मतलब ये हैं कि लोगों को बैंक में पैसा रखने के बजाय घर में कैश्ा रखने में सहूलियत हो रही है। लोगों का बैंकिंग सिस्टम से भरोसा घटा है।'
इससे पहले शिवसेना ने पीएम मोदी पर कसा तंज
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी आरबीआई की रिपोर्ट आने के बाद पीएम मोदी पर तंज कसा था। उद्धव ठाकरे ने कहा कि आरबीआई तो मतवाला बंदर हो चुका है। कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए देश के लाखों लोगों को लाइन में खड़ा कर दिया गया।
जानें आरबीआई की रिपोर्ट में क्या
गौरतलब है कि आरबीआई के साल 2017-18 के वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक जिस वक्त नोटबंदी की गई थी उस वक्त 500 और 1000 रुपये के करीब 15 लाख 44 हजार करोड़ रुपये मू्ल्य के नोट बंद किए गए थे लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास सिर्फ 15 लाख 31 हजार करोड़ रुपये मूल्य के ही पुराने नोट वापस आए।