कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया। हमने कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा की। लेकिन प्रधानमंत्री उनमें से कई चर्चाओं के दौरान अनुपस्थित रहे। लोकसभा और राज्यसभा में कश्मीर तथा दलितों के उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई और प्रधानमंत्री इन चर्चाओं के दौरान अनुपस्थित थे। सिब्बल ने कहा कि इससे पहले जब अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड तथा राज्यपालों की भूमिका पर चर्चा हुई, तब भी प्रधानमंत्री मौजूद नहीं थे। उन्होंने कहा, हमारे यहां पीएम मुक्त संसद है। यह अच्छी स्थिति नहीं है। वह कहते हैं कि वह संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन संसद की कार्यवाही में शामिल नहीं होते।
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद ने कहा, हम अगले सत्र में यह मुद्दा उठाएंगे। प्रधानमंत्री संसद में क्यों नहीं आते। इसलिए कि वह भयभीत हैं। हम चाहते हैं कि वह राष्ट्र के पहरेदार रहें और देश को जवाब दें। सिब्बल ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री को किए गए सवालों का जवाब देने की आदत नहीं है और जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी वह ऐसा ही करते थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रैलियों या सभाओं को संबोधित करना पसंद करते हैं क्योंकि किसी को भीड़ को जवाब देने की जरूरत नहीं होती। लेकिन संसद में आपको विपक्ष का जवाब देना होता है। भीड़ में, कोई उनसे सवाल नहीं करेगा। लेकिन संसद में विपक्ष सवाल करेगा। पार्टी ने इसी हफ्ते एक टिप्पणी में प्रधानमंत्री पर संसद में उनकी अनुपस्थिति को लेकर निशाना साधा था।