कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को गलत ठहराया है जिसमें उन्होंने गुजरात में कांग्रेस के योगदान को शून्य बताया है। भाजपा गुजरात में कांग्रेस के बढ़ते जनसमर्थन को देखकर बौखला गई है। इसलिए मतदाता को गुमराह कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने देश के पहले प्रधानमंत्री के बारे में कहा कि उन्होंने गुजरात के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस इसकी निंदा करती है।
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री एक अस्वस्थ्य मानसिकता के शिकार हैं जो राष्ट्रीय चिंता का विषय है। उन्हें लगता है कि भाजपा तथा उनके उदय से पहले न गुजरात और न देश में कुछ हुआ था। हालाकि प्रधानमंत्री 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन उ्नहें यह बताना जरूरी होगा कि जवाहरलाल नेहरू के समय में ही 1949 में अमूल की स्थापना हुई थी। आईआईएम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन अहमदाबाद में उनके समय में ही बने थे। बड़े बंदरगाह नेहरू के समय में ही बने। प्रधानमंत्री को अपनी बात जिम्मेदारी से कहना चाहिए। गलत बात कहकर वह गुजरात के मतदाता को क्या संदेश दे रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आंदोलन के बाद राज्य पुनर्गठन आयोग का फैसला नेहरू का था उसके बाद ही पहली मई 1960 को गुजरात राज्य बना। यह सब बताने का मकसद है कि भविष्य में देने वाले भाषण में प्रधानमंत्री गलतबयानी न करें। गुजरात के बेटे के साथ वह देश के प्रधानमंत्री भी हैं।। उनकी सरकार ने क्या काम किया, यह गुजरात के मतदाता और देश की जनता तय करेगी। अपनी सरकार की इमानदारी का खुद प्रमाण पत्र न दें। उनकी सरकार दागी लोगों से भरी पड़ी है और सरकार घोटालों पर पर्दा डाल रही है। उऩकी सरकार जबावदेरी से भाग रही है इसलिए प्रधानमंत्री कभी न संसद में चर्चा में हिस्सा लेते हैं और न ही किसी सवाल का जबाव देते हैं। संसद का शीतकालीन सत्र भी नवबंर में टालने का मकसद गुजरात की जनता के सामने सच्चाई न आने देना है। प्रधानमंत्री को 132 साल पुरानी कांग्रेस से तकलीफ है लेकिन उसका भविष्य न नरेंद्र मोदी तय करेंगे और न भाजपा। मोदी ने कटाक्ष किए हैं कि कांग्रेस के अध्यक्ष कौन रहे हैं? लेकिन वह अपना ज्ञान जरूर बढ़ा लें कि पार्टी के कई महापुरुष और महिलाएं अध्यक्ष रही हैं। उसमें महात्मागांधी, सुभाष चंद बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, मदनमोहन मालवीय और लाजपत राय जैसी शख्शियत शामिल रही हैं। प्रधानमंत्री कहते हैं कि कांग्रेस में एक ही वंश के नाम मिलेंगे तो कांग्रेस अध्यक्षों की लंबी फेहरिस्त भी देख लें और वंशवाद के आरोपों पर अपने को दुरस्त कर लें।