कांग्रेस ने गुजरात भाजपा के घूसकांड में शामिल होने का आरोप लगाया है तथा मामले की जांच हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से कराने और एफआईआर दर्ज करने मांग की है। इस तरह के घूसकांड से पीएम का यह दावा भी खोखला साबित हुआ है कि न खाउंगा और न खाने दूंगा।
कांग्रेस प्रवक्ता व पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने सोमवार को एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि मौजूदा समय में भाजपा अज्ञानता, अहंकार और बौखलाहाइट का परिचय दे रही है और पिछले 24 घंटे में इसके तीन उदाहरण सामने आए हैं। गुजरात में जिस तरह घूसखोरी का खेल चल रहा है वह लोकतंत्र के लिए धब्बा है। यह आरोप किसी राजनैतिक दल या राजनेता ने नहीं लगाए हैं बल्कि उऩ संगठनों ने लगाएं हैं जिन्हें तोड़ने की भाजपा ने कोशिश की है। उन्होंने मीडिया के सामने आकर भाजपा के षडयंत्र का पर्दाफाश कर दिया है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नरेंद्र पटेल ने खुलासा किया कि भाजपा ने एक करोड़ रुपये में सौदा किया था और दस लाख रुपये बयाना दिया गया। इसी संगठन के निखिल सवानी ने बयान दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि इससे साफ है कि भाजपा पूरी तरह बौखलाई हुई है और पूरी तरह डरी हुई है तथा चुनाव से भाग रही है। हर जायज नाजायज हथकंडा अपनाया जा रहा है। गुजरात में किसी तरह से अपनी फिसलती जमीन को रोकने के लिए और यह घूस का मामला कोई गुजरात में पहली बार सामने नहीं आ रहा है। राज्यसभा चुनाव के दौरान भी इसी तरह कांग्रेस के विधायकों को लुभाने की कोशिश की जा रही थी और तब भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी। कल प्रधानमंत्री गुजरात गए और छह करोड़ गुजरातवासियों को साफ तौर पर कहा कि अगर वह वोट नहीं देंदे तो वह उनका पैसा बंद कर देंगे। क्या यह उनका निजी पैसा है। जो संघीय ढांचे की वकालत करते थे उनका यह आचरण संघीय ढांचे पर आघात है। गुजरात में चुनाव न कराना भी चुनाग आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। आयोग को संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए फौरन चुनाव की तारीख घोषित करनी चाहिए।