कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर कांग्रेस को प्रधानमंत्री का पद नहीं मिलता है तो उनकी पार्टी को कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका हमेशा से एकमात्र उद्देश्य रहा है कि केंद्र में सरकार बनाने से एनडीए को रोकें।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, आजाद ने कहा, "हमने पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। यदि कांग्रेस के पक्ष में आम सहमति बनती है, तो पार्टी नेतृत्व लेगी लेकिन हमारा उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि एनडीए सरकार नहीं आनी चाहिए। हम सर्वसम्मत निर्णय के साथ जाएंगे।"
उन्होंने कहा, "हम ऐसा मुद्दा नहीं बनाने जा रहे हैं कि अगर प्रधानमंत्री पद हमें (कांग्रेस को) पेश नहीं किया जाता है तो हम (कांग्रेस) किसी और को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे। "
भाजपा को दिया जवाब
दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का बयान तब आया है जब केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सवाल उठाया कि अगर विपक्ष लोकसभा चुनावों में जीत के प्रति आश्वस्त हैं तो उन्होंने अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम देने की हिम्मत की? इसके अलावा भाजपा ने महागठबंधन की यह कहते हुए आलोचना की कि विपक्षी दलों के नेताओं के बीच कोई सहमति नहीं है और महागठबंधन में सभी राजनीतिक संगठनों के प्रमुख प्रधानमंत्री पद चाहते हैं।
आजाद को नीतीश से उम्मीद
इससे पहले आजाद ने उम्मीद जताते हुए कहा कि यदि लोकसभा में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो नीतीश जैसे नेता केंद्र में गैर भाजपा सरकार बनवा सकते हैं।
पटना में आजाद ने कहा कि भाजपा को कम सीटें मिली तो एनडीए में शामिल कई दल भी दिल्ली में गैर भाजपा सरकार बनवा सकते हैं। एनडीए में कई ऐसे दल हैं, जिनकी विचारधारा भाजपा से नहीं मिलती है। सत्ता पाने या किसी मजबूरी की वजह से वे उनके साथ हैं। शायद इसमें नीतीश भी हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में अब अंतिम चरण का मतदान बाकी है। देश भर में चुनाव प्रचार के अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनने जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में गैर एनडीए, गैर भाजपा सरकार बनेगी।
‘बनेगी गैरभाजपा सरकार’
वहीं कांग्रेस नेता ने गोरखपुर में कहा था कि इस बार देश में बदलाव होगा। भाजपा की सरकार केंद्र में नहीं आएगी। पूरे देश और प्रदेश में भाजपा हार रही है। केंद्र में इस बार गैरभाजपा सरकार बनेगी। उत्तर प्रदेश में पिछले चुनाव में भाजपा को 73 सीटें मिली थीं, इस बार 10-15 सीट पर भाजपा उत्तर प्रदेश में सिमट जाएगी। चौकीदार ढीला पड़ गया है, जब कोई नेता गालियां देने लगे तो समझ लेना चाहिए कि उसकी हवा निकल गई है।