मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के लिए सियासी संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। यह फैसला उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद किया है। जिसके बाद माना जा रहा है कि वो बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। सिंधिया के इस फैसले से कमलनाथ सरकार भी जाती नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस ने सिंधिया को निष्कासित कर दिया है। सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है।फिलहाल सीएम कमलनाथ ने भोपाल में पार्टी नेताओं के साथ इमरजेंसी बैठक बुलाई है।
इस्तीफा देने से पहले सिंधिया दिल्ली में सुबह अपने आवास से निकलकर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे और इसके बाद शाह के साथ ही वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पहुंच गए। पीएम के आवास पर सिंधिया की बैठक सुबह 10.45 बजे शुरू हुई और करीब एक घंटे तक पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच बैठक चली।
भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा। इस्तीफा पत्र पर तिथि नौ मार्च की है। पत्र में उन्होंने कहा, 'अपने राज्य और देश के लोगों की सेवा करना मेरा हमेशा से मकसद रहा है। मैं इस पार्टी में रहकर अब यह करने में अक्षम में हूं।' ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में कहा कि मेरा मानना है कि सबसे अच्छा यह है कि मैं अब एक नयी शुरूआत के साथ आगे बढूं।
पार्टी ने किया निष्कासित
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कांग्रेस से तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया गया है।
सिंधिया के बाद बेंगलुरु में मौजूद 19 कांग्रेस विधायकों ने दिया इस्तीफा
सिंधिया के बाद बेंगलुरु में मौजूद 19 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें से 6 मंत्री हैं। इससे पहले उनके चौदह वफादार विधायकों ने मंगलवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया। समाचार एजेंसी पीटीआइ से राजभवन के अधिकारी ने कहा कि इन 14 विधायकों ने ई-मेल भेजकर इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस के 20 मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
इससे पहले कल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके 27 समर्थक विधायकों के मोबाइल फोन अचानक बंद होने के बाद बुलाई गई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मौजूद करीब 20 मंत्रियों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के प्रति आस्था जताते हुए सोमवार देर रात को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मध्यप्रदेश की मंत्रिमंडल में कुल 28 मंत्री हैं। बताया जा रहा है कि करीब आठ मंत्री सिंधिया के समर्थक हैं जो इस बैठक में मौजूद नहीं थे। उनके इस्तीफे आने बाकी हैं।
इस्तीफा देने के बाद बैठक से बाहर निकलते समय मध्यप्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने बताया, ‘‘मंत्रिमंडल की बैठक में हमने मुख्यमंत्री को अपने-अपने इस्तीफे सौंप दिये हैं। अब कमलनाथ नये सिरे से मंत्रिमंडल का गठन कर सकते हैं।’
वहीं, इस्तीफा देने वाले एक अन्य मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘अभी-अभी हमने मंत्रिमंडल बैठक में मुख्यमंत्री को अपने-अपने इस्तीफे सौंपे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 20 मंत्रियों ने इस्तीफे दिए हैं।’’ वर्मा ने बताया, ‘‘मंत्रियों ने मुख्यमंत्री के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए ये इस्तीफे दिये हैं।’’ उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री अपने विवेक से मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं। इसी बीच, जनसंपर्क मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले पी सी शर्मा ने बताया, ‘‘कांग्रेस सरकार पूरे पांच साल चलेगी और हमारी सरकार को कोई संकट नहीं है।’’ इन मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से मंत्रिमंडल का पुनर्गठन करने का अनुरोध किया है।
सिंधिया सहित 27 विधायकों का फोन बंद आने के बाद बुलाई गई थी बैठक
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनके समर्थक 27 विधायकों के मोबाइल फोन बंद होने के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार रात 10 बजे मुख्यमंत्री निवास पर अचानक यह मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी।
सरकार अस्थिर करने वालों को सफल नहीं होने दूंगा: कमलनाथ
इन मंत्रियों के इस्तीफा देने से पहले कमलनाथ ने सोमवार रात को एक बयान में कहा कि मैं अपनी सरकार को अस्थिर करने वाली ताकतों को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दूंगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदेश की जनता का विश्वास और उनका प्रेम मेरी सबसे बड़ी ताकत है। जनता की जनता के द्वारा बनाई गई सरकार को किसी भी कीमत पर अस्थिर करने वाली ताकतों को सफल नहीं होने दूंगा।’’ कमलनाथ ने कहा, ‘‘मैंने अपना पूरा सार्वजनिक जीवन जनता की सेवा के लिए समर्पित किया है। मेरे लिए सरकार होने का अर्थ सत्ता की भूख नहीं, जन सेवा का पवित्र उद्देश्य है। पंद्रह वर्षों तक भाजपा ने सत्ता को सेवा का नहीं, भोग का साधन बनाए रखा था। वो आज भी अनैतिक तरीके से मध्यप्रदेश की सरकार को अस्थिर करना चाहती है।’’ उन्होंने कहा कि सौदेबाजी की राजनीति मध्यप्रदेश के हितों के साथ कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि 15 साल के भाजपा राज में हर क्षेत्र में माफिया समानांतर सरकार बन गया था। प्रदेश की जनता त्रस्त थी और उसने माफिया रूप से छुटकारा पाने के लिए कांग्रेस को सत्ता सौंपी। मैंने जनता की अपेक्षा पर माफिया के खिलाफ अभियान चलाया। माफिया के सहयोग से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। कमलनाथ ने कहा कि भूमाफिया से त्रस्त जनता को हमने राहत दिलाई। नकली दवाएं, नकली खाद बेचकर लाभ कमाकर अमानवीय व्यवसाय में लगे माफिया के खिलाफ हमने अभियान चलाया। लोगों को प्रतिदिन उपयोग में आने वाली वस्तुएं शुद्ध मिले इसके लिए "शुद्ध के लिए युद्ध" अभियान चलाया। उन्होंने कहा, ‘‘ये वही लोग है जो पिछले 15 साल में भजपा के राज में पनपे और उनका संरक्षण पाकर पोषित हुए। रेत माफिया ने तो भाजपा राज में 15 हजार करोड़ का डाका मध्यप्रदेश के राजस्व पर डाला। मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद रेत माफिया की भी कमर टूट गई। नापाक इरादे रखने वाले लोगों को यह रास नहीं आया।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा माफिया के हाथ का खिलौना बन गई है। कमलनाथ ने कहा, ‘‘जाहिर है भाजपा का जनाधार खिसकना शुरू हो गया था। भाजपा ने पिछले माहों में सात राज्यों में अपनी सरकार गंवा दी। इससे बौखलाकर कांग्रेस सरकार को पांच साल पूरा न करने देने की कुत्सित और घिनौनी कोशिश पहले दिन से ही शुरू हो गई थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हमेशा मूल्यों की राजनीति की है। उससे मैं कभी समझौता नहीं कर सकता। भाजपा मध्यप्रदेश के भविष्य के साथ भी धोखा कर रही है और प्रदेश के विकास की असीम संभावनाओं को भी आघात पहुंचा रही है।’’
कल कमलनाथ की सोनिया से हुई थी मुलाकात
मुख्यमंत्री ने यह मंत्रिमंडल की बैठक मध्यप्रदेश के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और राज्यसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में सोमवार दोपहर दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर भोपाल लौटने के तुरंत बाद की। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ अपना दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर सोमवार देर शाम भोपाल आये थे।
क्या है मामला?
मध्यप्रदेश कांग्रेस के विभिन्न गुटों में चल रही कथित अंदरूनी लड़ाई एवं कमलनाथ नीत प्रदेश सरकार को कथित रूप से भाजपा द्वारा अस्थिर करने के आरोपों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनके समर्थक मंत्रियों सहित 27 विधायकों के मोबाइल फोन सोमवार शाम अचानक बंद हो गये। अनुमान लगाया जा रहा है कि सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पार्टी आलाकमान पर दबाव बनाने के लिहाज से ऐसा किया गया है। हालांकि, इस बारे में सिंधिया से मोबाइल फोन पर बार-बार कोशिश के बावजूद संपर्क नहीं हो सका। कमलनाथ के दिल्ली से लौटने से पहले ही सिंधिया एवं उनके समर्थक इन बागी हुए मंत्रियों सहित 27 विधायकों के मोबाइल फोन बंद हो गए । माना जा रहा है कि अपनी सरकार पर चल रहे इसी संकट के मद्देनजर कमलनाथ ने यह बैठक बुलाई। सिंधिया समर्थित जिन मंत्रियों के मोबाइल फोन बंद हैं, उनमें लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसी सिलावट, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया, राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी शामिल हैं। इनके अलावा, सिंधिया समर्थक अन्य विधायकों से भी मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा। वहीं, मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस मामले में कुछ भी गंभीर नहीं है।’’ कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई में अंदरूनी कलह और उसके विधायकों को भाजपा द्वारा अपने पाले में करने के आरोपों के बीच सिंधिया समर्थित कुछ मंत्रियों सहित कई विधायक सोमवार को बेंगलुरु पहुंचे। सूत्रों ने बताया कि वे विशेष विमान से दिन में बेंगलुरु पहुंचे विधायक अज्ञात स्थान पर ठहरे हैं। सोनिया से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने दिल्ली में सोमवार दोपहर को कहा कि सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर कोई नाम तय हुए हैं तो मुख्यमंत्री ने कहा कि उम्मीदवारों पर फैसला सर्वसम्मति से होगा। सूत्रों का कहना है कि करीब 20 मिनट तक चली सोनिया-कमलनाथ की मुलाकात के दौरान राज्यसभा चुनाव के बारे में मुख्य रूप से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने सोनिया को राज्य के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से भी अवगत कराया।
कांग्रेस भाजपा पर लगा रही है आरोप
उल्लेखनीय है कि हाल ही में कांग्रेस ने भाजपा पर अपने कुछ विधायकों को अगवा करने और सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। भाजपा ने इस आरोप को खारिज किया था। मध्यप्रदेश से तीन राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है। विधानसभा के मौजूदा संख्याबल के मुताबिक कांग्रेस को दो सीटें मिलने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस एक सीट से दिग्विजय और दूसरी सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। हालांकि चर्चा यह भी है कि इन दोनों में से किसी एक नेता को छत्तीसगढ़ अथवा किसी दूसरे राज्य से भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। मालूम हो कि मंगलवार को मध्यप्रदेश के 10 विधायक गायब हो गये थे, जिनमें दो बसपा, एक सपा, एक निर्दलीय एवं बाकी कांग्रेस के विधायक थे। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा नेता इन विधायकों को हरियाणा के एक होटल में ले गये हैं और कमलनाथ की सरकार गिराने के लिए उन्हें करोड़ों रुपये देने का प्रलोभन दे रहे हैं। हालांकि, भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया और दावा किया कि 26 मार्च को मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव के मद्देनजर यह कांग्रेस के विभिन्न गुटों के बीच चल रही अंदरुनी लड़ाई का नतीजा है। इसके बाद प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस इन 10 विधायकों में से आठ विधायकों को वापस लाने में अब तक सफल हो चुकी है। हालांकि, लापता हुए 10 विधायकों में से अब केवल कांग्रेस के दो विधायक हरदीप सिंह डंग एवं रघुराज कंसाना ही बचे हैं, जो अब तक गायब हैं।
विधानसभा का समीकरण
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं, जिनमें से वर्तमान में दो खाली हैं। इस प्रकार वर्तमान में प्रदेश में कुल 228 विधायक हैं, जिनमें से 114 कांग्रेस, 107 भाजपा, चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी एवं एक समाजवादी पार्टी का विधायक शामिल हैं। कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को इन चारों निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ बसपा और सपा का समर्थन है।