दरअसल बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सहारे कांग्रेस की सीटें बढ़ने के बाद पार्टी की रणनीति है कि जिन राज्यों में जनाधार कम हुआ है वहां गठबंधन का सहारा लिया जाए। कांग्रेस पहले भी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी है ऐसे में कहा जा रहा था कि संभवतः इस बार भी तृणमूल के साथ गठबंधन हो। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी इस पक्ष में नजर आ रहे थे। सूत्रों के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस बात के लिए लॉबिंग कर रहे थे कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो ताकि भाजपा के बढ़ते जनाधार को रोक सके।
लेकिन पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता इस पक्ष में हैं कि या तो पार्टी अकेले चुनाव लड़े या फिर वामदल के साथ गठबंधन करके लड़े। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने अपनी राय से पार्टी उपाध्यक्ष को अवगत भी करा दिया है। कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि राज्य की जनता तृणमूल कांग्रेस की सरकार को हटाना चाहती है। राज्य में तृणमूल से पार्टी के अस्तित्व को खतरा है। वह कांग्रेस को खत्म करने पर आमादा है। इसलिए राज्य की सत्ता से हटाने के लिए माकपा से गठबंधन करना बहुत जरूरी है। मामला अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पाले में हैं। अंतिम फैसला अब उन्हीं को लेना है कि कांग्रेस का गठबंधन होना है तो किसके साथ।