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कांग्रेस सांसद का सभापति को पत्र, कहा-सरकार को विशेष सत्र बुलाने के लिए करें राजी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है, ‘जिस तरह...
कांग्रेस सांसद का सभापति को पत्र,  कहा-सरकार को विशेष सत्र बुलाने के लिए करें राजी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है, ‘जिस तरह बजट सत्र का दूसरा चरण पूरी तरह बर्बाद हो गया है, उससे संसद जैसी संस्था की गरिमा को ठेस पहुंची है। अहम मुद्दों पर चर्चा और बिल पास कराने के लिए मई-जून में दो सप्ताह का विशेष सत्र बुलाया जाए और इसके लिए सरकार को राजी करें। इससे संसद की खोई गरिमा को फिर से बहाल करने में मदद ‌मिल सकती है।‘

संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामे और शोरगुल की वजह से बर्बाद होकर शुक्रवार को समाप्त हो गया। सत्र के दौरान दोनों सदनों में कामकाज सुचारु ढंग से नहीं चल सका।

इसे देखते हुए कांग्रेस सांसद जयराम ने सभापति एम वैंकेया नायडू को लिखे पत्र में कहा है कि मैं तय रूप से कह सकता हूं कि बजट सत्र के दूसरे चरण के हंगामे की भेंट चढ़ जाने से सभी सांसदों को पीड़ा हुई होगी। उन्होंने यह भी लिखा कि  मैं पक्के तौर पर विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सभी राजनीतिक पार्टियों के सांसद चाहते होंगे कि ऐसा आगे कभी न हो। सांसद और पार्टियां अपने राज्यों और देश से जुड़े मुद्दों को उठाना चाहते थे। मैं पूरी तरह निजी हैसियत से सुझाव दे रहा हूं कि सरकार अहम मुद्दों पर चर्चा और बिल पास कराने के लिए मई-जून महीने में दो हफ्ते का विशेष सत्र बुलाए और इसके लिए सरकार को राजी किया जाए।


कांग्रेस सासंद ने कहा है कि मैं जानता हूं कि मानसून सत्र जुलाई के मध्य में बुलाया जाएगा लेकिन इससे पहले विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। संसद में किसी तरह के कामकाज न होने से संस्था के तौर पर काफी नुकसान हुआ है और मैं समझता हूं कि विशेषसत्र से इस गरिमा को बहाल करने में मदद मिल सकेगी। सत्र के हंगामे के भेंट चढ़ने के लिए किसी पर दोषारोपण न किया जाए और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सत्र में गंभीर विषयों पर चर्चा हो और संसद ठीक से चले।

बता दें कि पांच मार्च से शुरू होकर छह अप्रैल तक चले बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद के लगातार ठप रहने से लोकसभा में सिर्फ पांच ही बिल पास हो सके, जिनमें वित्त विधेयक भी शामिल है। लोकसभा में इस दौरान तकरीबन 28 विधेयक पेश किए जाने थे। वहीं, राज्यसभा में 39 विधेयक पेश होने थे लेकिन सिर्फ एक ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक 2017 ही पारित हो सका। कामकाज के लिहाज से यह सत्र बीते 10 साल का संसद का सबसे हंगामेदार और शोर-शराबा भरा सत्र रहा।

 

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