कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की नीतियों में हालिया बदलावों के संबंध में चिंता जताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा कि ये बदलाव ‘‘बहुत परेशान करने वाले’’ हैं और लगभग 14 लाख एलआईसी एजेंट व लाखों पॉलिसीधारकों की आजीविका पर इनका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
सीतारमण को लिखे पत्र में टैगोर ने कहा कि सरकार ने 2047 तक भारत की पूरी आबादी का बीमा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जिसका व्यापक उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण और आर्थिक रूप से वंचित इलाकों में वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराना है। उन्होंने कहा कि बहरहाल, एलआईसी द्वारा हाल में किए नीतिगत बदलावों और फैसलों के कारण एजेंटों के वास्ते प्रभावी रूप से जीवन बीमा नीतियों को बढ़ावा देना तथा उन्हें बेचना मुश्किल हो रहा है।
विरुधुनगर से सांसद टैगोर ने कहा, ‘‘मैं जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की नीतियों में हाल के बदलावों के बाद एलआईसी एजेंटों और पॉलिसीधारकों की चिंताओं को व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं। ये बदलाव एक अक्टूबर 2024 से लागू हुए।’’
उन्होंने पांच नवंबर को लिखे पत्र में कहा कि ये बदलाव बहुत परेशान करने वाले हैं और इनका तकरीबन 14 लाख एलआईसी एजेंटों और लाखों पॉलिसीधारकों की आजीविका पर असर पड़ सकता है जो किफायती जीवन बीमा के लिए एलआईसी पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने कहा कि एलआईसी ने हाल में न्यूनतम बीमा राशि बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दी और प्रीमियम की दरें भी बढ़ा दी हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘इसका ग्रामीण, निम्न और मध्यम आय समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जो अब संभवत: इन उच्च प्रीमियम दरों पर बीमा पॉलिसी खरीदने में सक्षम नहीं होंगे।’’
टैगोर ने कहा कि एलआईसी एजेंटों के लिए कमीशन की दर 1938 के बीमा अधिनियम के अनुसार तय की गई थी। उन्होंने कहा कि एजेंट तथा बीमा उद्योग से कई अनुरोधों के बावजूद कमीशन की दरों में कोई वृद्धि नहीं की गयी।
उन्होंने कहा कि एलआईसी की प्रीमियम दरें पहले से ही इस उद्योग में सबसे अधिक हैं और इससे भी अधिक प्रीमियम दरों के साथ नई पॉलिसी की शुरुआत से एजेंटों के लिए पॉलिसी बेचना लगभग असंभव हो गया है, खासकर मध्यम और निम्न आय वाली आबादी के लिए।
टैगोर ने सीतारमण को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि आपके सहयोग से एलआईसी एजेंट और पॉलिसी धारकों की चिंताओं का शीघ्र एवं न्यायोचित ढंग से समाधान किया जाएगा।’’