लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पहली बार किसी कार्यक्रम में पहुंचे राहुल गांधी शनिवार को आक्रामक अंदाज में नजर आए। कांग्रेस की संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार की तुलना ब्रिटिश राज से की। उन्होंने कांग्रेस सांसदों से संविधान के लिए लड़ाई लड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि आपको देश के किसी भी संस्थान से सपोर्ट नहीं मिलेगा, फिर लड़ना है और जीतना है।
'कोई संस्थान आपका समर्थन नहीं करेगा'
राहुल गांधी ने सांसदों से कहा, 'आपको देश में कोई भी संस्थान सपोर्ट करने वाला नहीं है। कोई भी आपका समर्थन नहीं करेगा। यह ब्रिटिश काल जैसा है, जब किसी भी संस्थान ने पार्टी का समर्थन नहीं किया। तब भी हम लड़े और जीते। हम एक बार फिर से जीत हासिल करेंगे।' यही नहीं राहुल ने कहा कि हम संसद मे बीजेपी को वॉकओवर नहीं देने वाले और हमारे 52 सांसद इंच-इंच के लिए लड़ाई लड़ेंगे।
सोनिया गांधी को चुना गया कांग्रेस संसदीय दल का नेता
संसदीय दल की बैठक के दौरान कांग्रेस सांसदों ने सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना। बता दें कि चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। लेकिन कांग्रेस कार्यसमिति ने उनकी इस पेशकश को खारिज कर दिया।
कांग्रेस नहीं करेगी लोकसभा में नेता विपक्ष के नेता का दावा
इस बीच कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि लोकसभा में उसके सांसदों की संख्या नेता विपक्ष के पद के लिए कम है और वह इसका दावा नहीं करेगी। पिछली लोकसभा में कांग्रेस के सिर्फ 44 सांसद थे, इसलिए पार्टी को नेता विपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया था। इस बार भी नेता विपक्ष के लिए जरूरी संख्या से कम सांसद होने के कारण कांग्रेस इसका दावा पेश नहीं करेगी। कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई मांग पार्टी की तरफ से नहीं रखी जाएगी।