नोटबंदी को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस के संचार प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक आरटीआई के हवाला से नोटबंदी को लेकर कई गंभीर अरोप लगाए हैं। उन्होंंने कहा कि देश के 370 जिला सहकारी बैंकों में से नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा पैसा उस बैंक में जमा हुआ, जिसमें निदेशक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हैं। यह कैसे संभव हुआ? अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद पांच दिनों के अंदर 745.58 करोड़ रुपये के पुराने प्रतिबंधित नोट जमा किए गए। कांग्रेस ने भाजपा शासित राज्यों के सहकारी बैंकों में बड़े पैमाने पर पुराने नोट जमा होने का मुद्दा उठाते हुए नोटबंदी को आजाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है।
भाजपा अध्यक्ष से जुड़े अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक में नोटबंदी के बाद सबसे ज्यादा पुराने नोट जमा कराने जाने को लेकर आरटीआई के हवाले से समाचार एजेंसी आईएएनएस ने एक खबर प्रकाशित की है। जिसके बाद कांग्रेस के संचार प्रभारी सुरजेवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले को लेकर कई सवाल उठाए।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी भाजपा पर तंज कसते हुए ट्वीट किया कि अमित शाह जी जिस अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के निदेशक हैं, उसने पांच दिन में 750 करोड़ रुपये जमा कर नोट बदलने में पहला पुरस्कार हासिल किया है। नोटबंदी ने लाखों भारतीयों की जिंदगी तबाह कर दी, लेकिन आपकी उपलब्धि को सलाम!
11 सहकारी बैंकों ने जमा किए 3118 करोड़ रुपये के नोट
कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि गुजरात में भाजपा नेता जिन 11 जिला सहकारी बैंकों के कर्ताधर्ता हैं, वहां नोटबंदी के बाद पांच दिनों में कुल 3118 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा हुए। सुरजेवाला ने पूछा कि क्या कारण है जो 5 दिन में 3118 करोड़ अकेले गुजरात में जमा हो गए, इसकी जांच होनी चाहिए।
आरटीआई से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर कांग्रेस ने नोटबंदी के दौरान सहकारी बैंकों के जरिए कालेधन की मनी लॉन्ड्रिंग का अरोप लगाया है। उनका कहना है किएनडीए शासित राज्यों के सहकारी बैंकों में नोटबंदी के बाद 14293 करोड़ रुपये जमा हुए हैं। क्या इसकी जांच होगी?
सवालों से घिरे सहकारी बैंक
सुरजेवाला के मुताबिक, अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के बाद सबसे अधिक 693 करोड़ रुपये के पुराने नोट राजकोट जिला सहकारी बैंक में जमा हुए। इसके चेयरमैन जयेशभाई विट्ठल भाई रडाड़िया भाजपा की गुजरात सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
गौरतलब है कि नोटबंदी की घोषणा के पांच दिन बाद 14 नवंबर 2016 को सभी जिला सहकारी बैंकों को पुराने नोट जमा कराने से रोक दिया गया था क्योंकि सहकारी बैंकों के जरिए कालेधन को सफेद करने की आशंका थी।
सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष इसका खुलासा करेंगे कि नोटबंदी से पहले और बाद में भाजपा और आरएसएस ने देश भर में कितनी प्रॉपर्टी खरीदी और इसके लिए फंड कहां से आया? वो कौन लोग थे जिनको पहले से मालूम था कि नोटबंदी होने वाली है? पांच दिन में जमा हुआ ये पैसा किसका था? यह पैसा आया कहां से और गया कहां? क्या ये काला धन था जो सफेद बनाया जा रहा था?
नाबार्ड से मिली जानकारी
कांग्रेस की ओर से सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों की अनुसार, सहकारी बैंकों में नोट जमा होने की जानकारी मुंबई के कार्यकर्ता मनोरंजन एस. रॉय को आरटीआई के जवाब में नाबार्ड के चीफ जनरल मैनेजर एस. सर्वनावेल द्वारा दी गई है। नाबार्ड ही जिला सहकारी बैंकों की नियामक संस्था है।
इससे पहले नोटबंदी के दौरान भी सहकारी बैंकों द्वारा पुराने नोट जमा कराए जाने को लेकर तमाम सवाल उठे थे। गुजरात के जिला सहकारी बैंक नोटबंदी के समय से ही संदेह के घेरे में हैं।