कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच कांग्रेस ने ऐलान किया है कि 15 जनवरी को देशभर में 'किसान अधिकार दिवस' मनाया जाएगा और इस दिन 'राजभवन' का घेराव किया जाएगा। कांग्रेस ने आरोप भी लगाया कि यह भारत की पहली ऐसी सरकार है जो जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा किसान को कह रही कि 'सुप्रीम कोर्ट चले जाओ।'
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को कहा कि किसानों के समर्थन में 15 जनवरी को हर प्रांतीय मुख्यालय पर ‘किसान अधिकार दिवस’ के रूप में एक जनांदोलन तैयार करेगी। धरना प्रदर्शन और रैली के बाद राजभवन तक मार्च किया जाएगा। इस आंदोलन के जरिये सरकार से गुहार लगाएगी तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लिया जाय।
सुरजेवाला ने कहा कि 73 साल के देश के इतिहास में ऐसी निर्दयी और निष्ठुर सरकार कभी नहीं रही। यह सरकार अंग्रेजों और ईस्ट इंडिया कंपनी से भी ज्यादा बेरहम है। उन्होंने कहा kf अब देश का किसान काले कानूनों को खत्म कराने के लिए करो या मरो की राह पर चल पड़ा है। लाखों अन्नदाता 40 दिन से अधिक से दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि हाड़ कंपाती सर्दी, बारिश, ओलों में 60 से अधिक अन्नदाता ने दम तोड़ दिया। प्रधानमंत्री के मुंह से देश पर कुर्बान होने वाले उन 60 किसानों के लिए सात्वंना का एक शब्द भी नहीं निकला। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को जब सरकार किसानों से अगली बार बातचीत करे तो उसे यह पता हो कि पूरे देश ने अंगड़ाई और करवट ली है और किसानों की बात सरकार को सुननी पड़ेगी।
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल सितंबर में लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं सिंघू, गाजीपुर, टिकरी और अन्य बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार इन कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार बता रही है और दावा है कि इससे बिचौलिए खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी फसल बेच पाएंगे। प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी दो मुख्य मांगों- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसल के न्यूनतम समर्थन को कानूनी बनाने की मांग के साथ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को हुई बैठक भी बेनतीजा रही थी। अगली बैठक 15 जनवरी को होने वाली है।