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महाभियोग प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति ने जल्दबाजी में किया खारिज, जाएंगे कोर्ट: कपिल सिब्बल

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने पर कांग्रेस ने...
महाभियोग प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति ने जल्दबाजी में किया खारिज, जाएंगे कोर्ट: कपिल सिब्बल

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव खारिज होने पर कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए इस फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उपराष्ट्रपति ने बहुत जल्दबाजी में प्रस्ताव को खारिज किया है जबकि उन्होंने किसी विशेषज्ञ से इसके लिए सलाह भी नहीं ली। 

कपिल सिब्बल ने कहा, “चीफ जस्टिस के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज करने का उपराष्ट्रपति का फैसला तर्कसंगत नहीं है। संवैधानिक नियमों के दायरे में राज्यसभा के सभापति का काम सिर्फ जरूरी सांसदों की संख्या का नंबर देखना होता है और उनके हस्ताक्षरों की जांच करनी होती है। हालांकि, उपराष्ट्रपति को प्रस्ताव खारिज करने से पहले कम से कम कोलेजियम की राय तो लेनी ही चाहिए थी, लेकिन फैसला बहुत हड़बड़ी में किया गया।”

सिब्बल ने कहा कि कानून और संविधान ये कहता है कि जब हम इम्पिचमेंट मोशन मूव करें, उसको मानना, एडमिट करना चेयरमैन साहब का हक है और उसको खारिज करना भी चेयरमैन साहब का हक है। लेकिन हम मानते हैं कि वो दायरा, उस हक का दायरा सीमित है। चेयरमैन साहब इस बात को तो तय कर सकते हैं कि 50 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं या नहीं, ये तो तय कर सकते हैं, ये भी तय करते हैं कर सकते हैं, ये जो मोशन है वो संविधान के आर्टिकल 124 के अंतर्गत है या नहीं। अगर कोई misbehavior का आरोप ही नहीं है तो खारिज भी कर सकते हैं। लेकिन इस दायरे के बाहर चेयरमैन साहब नहीं जा सकते। तो एक तो असंवैधानिक कदम चेयरमैन साहब ने उठाया कि वो इस दायरे से बाहर चले गए। उन्होंने बिना जांच के इसको खारिज कर दिया। जो संविधान कहता है कि जैसे ही हम पेटिशन मूव करें इम्पिचमेंट की, अगर वो एडमिट करते हैं तो वो सारी जांच एक जजिस इंक्वायरी कमेटी को सौंप देनी चाहिए। उसमें एक सुप्रीम कोर्ट जज साहब बैठेंगे, एक चीफ जस्टिस ऑफ दी हाईकोर्ट बैठेंगे और एक लिगल ल्यूमनरी बैठेगा, फिर जांच-पड़ताल होगी। एविडेंस लीड होगी, क्रोस एग्जेमिन भी हो सकता है, दस्तावेज पेश होंगे और क्योंकि जजिस से जुड़ा हुआ मामला है और कोर्ट का अंदरुनी मामला है, वहाँ से एविडेंस आना पड़ेगा और उसके बाद तय होगा कि ये आरोप प्रूव हुए हैं या नहीं। और अगर आरोप सिद्ध हो गए तो फिर वो मोशन वापस हाउस में जाएगा और राष्ट्रपति जी को एक एड्रैस जाएगा, उस एड्रैस के अंतर्गत अगर जांच कमेटी ने फैसला किया कि ये सारे आरोप सही हैं तो, वो prove misbehavior बनेगा और जिस जज के खिलाफ भी वो इम्पिचमेंट मोशन की शुरुआत हुई थी, उस जज को अपने पद से हटना होगा।

'देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ'

कपिल सिब्बल ने कहा कि ये पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है। कपिल सिब्बल ने कहा कि पहले इस मामले की जांच होनी चाहिए थी, उसके बाद ही कोई फैसला होना चाहिए था। ये फैसला जो किया गया है इसे काफी जल्दबाजी में किया गया है। उन्होंने कहा कि बिना जांच के ही प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया, देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।

'सभापति को जो भी सलाह मिली है गलत थी'

सिब्बल ने कहा कि राज्यसभा चेयरमैन को सिर्फ ये देखना था कि प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हैं या नहीं। इसके बाद जांच कमेटी बनती है जिसका काम ये बताना है कि आरोप सही हैं या नहीं। अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो फिर सदन में आता है। उन्होंने कहा कि सभापति को जो भी सलाह मिली है वह गलत सलाह थी।

उन्होंने कहा कि सभापति ऐसे मामलों में सीजेआई की राय लेते हैं लेकिन इसमें नहीं ले सकते थे। हालांकि, वो कोलेजियम के अन्य सदस्यों की राय जरूर ले सकते थे।

‘सीजेआई बने रहे दीपक मिश्रा तो उनकी कोर्ट में कभी नहीं जाऊंगा’

कपिल सिब्बल ने इससे पहले ऐलान किया कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा सीजेआई के पद से नहीं हटे, तो वो आगे से कभी भी उनकी कोर्ट में पेश नहीं होंगे।

अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, कपिल सिब्बल ने सोमवार से सीजेआई की कोर्ट में पेश नहीं होने का ऐलान किया है। उन्होंने कहना है कि जब तक सीजेआई दीपक मिश्रा रिटायर नहीं हो जाते, तब तक वो उनकी कोर्ट में पेश नहीं होंगे। पेशेगत मूल्यों का हवाला देते हुए सिब्बल ने इसकी घोषणा की।

 

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