पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले राहुल गांधी ने भी कहा है कि वह कांग्रेस की शीर्ष निर्णायक इकाई कार्यसमिति की भावना के अनुरूप काम करेंगे। पार्टी में तमाम अहम निर्णय लेने वाली कांग्रेस कार्यसमिति ने सोमवार को बैठक के दौरान राहुल से यह आग्रह किया है।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य कारणों के चलते सोनिया गांधी कार्यसमिति की इस बैठक में शामिल नहीं हुईं और राहुल गांधी ने ही बैठक की अध्यक्षता की। कार्यसमिति की इस मांग का तत्काल कोई नतीजा तो सामने नहीं आ सका लेकिन यह जरूर है कि पार्टी की शीर्ष निर्णायक इकाई में इस तरह की मांग के बाद शायद अब राहुल की ताजपोशी में ज्यादा देर न हो। लंबे समय से राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग लगभग हर वर्ष दोहराई जाती रही है लेकिन उनके समर्थकों को निराशा ही हाथ लगती रही है। वैसे कार्यसमिति ने पार्टी के संगठन चुनाव एक साल के लिए टाल दिए हैं इसलिए संगठन चुनाव के जरिये राहुल का अध्यक्ष बनना टल गया है।
वैसे पार्टी में तमाम बड़े निर्णय लेने की ताकत कांग्रेस कार्यसमिति के पास ही है। कार्यसमिति चाहे तो अध्यक्ष पद पर राहुल की नियुक्ति कर सकती है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कार्यसमिति के सदस्यों की भावना का ख्याल रखते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वयं इस शीर्ष इकाई को अपना इस्तीफा भेज दें। जिसके बाद कार्यसमिति राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी 1998 से कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी दो कार्यकाल तक केंद्र की सरकार में रही। लेकिन पिछले लंबे समय से सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से पार्टी कार्यक्रमों में सक्रिय नहीं नजर आ रही हैं। आने वाले कुछ महिनों और फिर अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जो कि पार्टी के भविष्य के लिए बेहद अहमियत रखने वाले हैं। ऐसे में पार्टी नेताओॆं और कार्यकर्ताओं में बेचैनी देखने को मिल रही है। इसलिए पार्टी को मजबूत और एकजुट रखने के लिए राहुल को जल्द ही पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की पूरी संभावना दिखाई दे रही है।