कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा और आरएसएस को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराने के लिए विपक्षी दलों के बीच मजबूत गठंबधन बनाने पर व्यापक सहमति बन गई है। कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों के अनुसार ये दल इस बात पर भी सहमत हुए कि प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी का चयन चुनाव परिणामों के बाद किया जाएगा।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अऩुसार, कांग्रेस का यह मानना है कि उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में विपक्ष का उचित गठजोड़ इसलिए जरूरी है कि ऐसा होने पर इन राज्यों में भाजपा अपनी सीटों का बड़ा हिस्सा खो सकती है जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पद से हटाने का रास्ता साफ होगा। सूत्रों के अनुसार राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और 80 सांसदों को चुनने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लिए समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच व्यापक रणनीतिक समझ बनी है। सीटों के बंटवारे का खाका तैयार किया जा रहा है।
पार्टी का मानना है कि अगले लोकसभा चुनावों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्यों में उसे बड़ा फायदा होगा जिससे उसे विपक्षी गठबंधन के केंद्र में पहुंचने में मदद मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार पार्टी दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने से पहले राज्य इकाइयों की राय को प्रमुखता देगी। लेकिन शिवसेना जैसी पार्टियों से किसी तरह का समझौता नहीं करेगी क्योंकि उसकी विचारधारा कांग्रेस से मेल नहीं खाती है। उन्होंने बताया पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ही राज्य स्तर पर समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन का फैसला राज्य इकाइयों की सहमति के बाद करेंगे। राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर समझौता करने से पहले किसी भी हालत में राज्य इकाई के हितों को देख्ाा जाएगा।
कांग्रेस को यह भी लगता है कि इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में उसकी जीत होगी लेकिन यहां किसी को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार पार्टी योग्य उम्मीदवारों के चयन पर ध्यान केंद्रित करेगी। कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए दो स्तर पर कार्ययोजना तैयार कर रही है। इसके अनुसार पहले मोदी और भाजपा-आरएसएस को हराने के लिए सभी विपक्षी दलों को एकजुट किया जाए। दूसरा यह कि नेतृत्व का मामला चुनाव परिणामों के आधार पर तय किया जाए।