बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एनआरसी से लेकर वेस्ट यूपी में दलितों के उत्पीड़न को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने केंद्र और यूपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित असम राज्य में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) के प्रकाशन के बाद 40 लाख से अधिक धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त कर दिया है। इस प्रकार केंद्र और असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य बीजेपी एंड कंपनी ने प्राप्त कर लिया है।
उनके इस बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने पलटवार करते हुए कहा कि जब असम में अवैध बंग्लादेशियों की घुसपैठ का मुद्दा जनआंदोलन बना था तब मायावती का राजनीति में अता-पता भी नहीं था। कांग्रेस के साथ कदम से कदम मिलाते हुए बसपा सुप्रीमो बांग्लादेशी घुसपैठियों को बचाना चाहती हैं।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि असम राज्य में बरसों से रहने के बावजूद अगर ये लोग अपनी नागरिकता के संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाये हैं, तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन लोगों से उनकी नागरिकता ही छीन ली जाए। इन प्रभावित लोगों में धार्मिक अल्पसंख्यकों में ज्यादातर बंगाली मुसलमान हैं और भाषाई अल्पसंख्यकों में बंगला बोलने वाले गैर-मुस्लिम बंगाली हैं। इसलिए बंगाल में भी इसका दुष्प्रभाव काफी ज्यादा पड़ने वाला है, परंतु बीजेपी एंड कंपनी इसका भी फायदा लेने का प्रयास कर रही है। बीजेपी और आरएसएस की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है कि असम में आज ऐसा अनर्थ परिणाम आया है और 31 दिसंबर 2018 को अंतिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिए एक ऐसा उन्माद और सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा।
असम के नागरिकता रजिस्टर के प्रकाशन के मामले में पूरी तरह से मासूम और निर्दोष बनने के प्रयास की तीखी आलोचना करते हुए मायावती ने कहा कि इस मामले में सब कुछ न्यायालय पर थोपना गलत है, क्योंकि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकारें पवित्र संविधान और न्यायालय के आदेशों की कितनी अवहेलना कर रही हैं, यह आज पूरा देश देख रहा है। ताजा मामला न्यायाधीशों की नियुक्ति और ताजमहल को संरक्षित रखने का है, जिसके सम्बंध में उच्चतम न्यायालय को बार-बार बीजेपी सरकारों को फटकार लगानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि वैसे भी बीएसपी के मजबूत गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश में बीएसपी के लोगों पर सरकारी जुल्म-ज्यादती और अन्याय-अत्याचार के पहाड़ तोड़ने का प्रयास अभी भी लगातार जारी हैं। इसी क्रम में मेरठ में बीएसपी की मेयर के पति और पूर्व विधायक योगेश वर्मा को फर्जी मुकदमों में जेल में डाल दिया गया है। इसके अलावा सहारनपुर में बीएसपी के विधायक महमूद अली और इनके भाई मोहम्मद इक़बाल पूर्व एमएलसी आदि को भी गैंगस्टर एक्ट आदि में फंसाया जा रहा है। इनके परिवार वालों और नाते-रिश्तेदारों पर सरकारी आतंक का जुल्म ढाया जा रहा है, जिसकी बीएसपी तीव्र निंदा करती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि इतना ही नहीं, इससे पहले बीजेपी और आरएसएस एंड कंपनी ने खासकर उत्तर प्रदेश में दलितों की एकता और एकजुटता को प्रभावित करने के लिये पर्दे के पीछे से भीम आर्मी का गठन करवाया और फिर अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए इसकी आड़ में सहारनपुर के शब्बीर गांव में बीएसपी के सर्वोच्च नेतृत्व की हत्या करवाने की घिनौनी साजिश रची।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने असम के राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अवैध घुसपैठियों के मुद्दे पर असम के सैकड़ों नौजवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कांग्रेस के पास असम के समझौते को लागू करने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन भाजपा की सरकार ने हिम्मत दिखाई और यह काम कर दिखाया।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें वोट बैंक की लालच में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों की भी अनदेखी करती थीं, लेकिन भाजपा सरकार ने न्यायालय की मंशा के अनुरूप बिना किसी तुष्टीकरण के राजनीति के उचित कदम उठाया है। असम की जनता की भावनाओं के अनुरूप और देश की सीमाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही असम सरकार और केंद्र सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि न्यायालय की अवहेलना करने का बसपा प्रमुख का पुराना इतिहास रहा है। अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में स्मारकों और मूर्तियों का निर्माण न्यायालय की रोक के बावजूद जारी रखा। इसीलिए बसपा प्रमुख आज भी संवैधानिक संस्थाओं द्वारा दिए जाने वाले दिशा निर्देशों के खिलाफ खड़ी होने से गुरेज नहीं कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में दलितों, पिछड़ों के बीच बीजेपी का सम्पर्क संवाद लगातार बढ़ रहा है, जिससे मायावती भयभीत हैं। मोदी-योगी की सरकार द्वारा दलितों, पिछड़ो व गरीबों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं से बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। इसीलिए पिछले लोकसभा के चुनावों में शून्य पर रही बसपा के खीसकते जनाधार को बचाने के लिए मायावती राष्ट्रहित की भी अनदेखी करने से नहीं चूक रहीं। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बसपा सुप्रीमो द्वारा प्रदेश के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ जोड़ने के प्रयास को राष्ट्र विरोधी सोच का परिचायक बताते हुए कहा कि देश में रहने वाले अल्पसंख्यक का देश भक्ति का अपना इतिहास रहा है। बंग्लादेशी घुसपैठियों के साथ उनका नाम जोड़कर मायावती देश के राष्ट्र भक्त लोगों का अपमान कर रही हैं।